केरल हाई कोर्ट ने 2012 के टीपी चंद्रशेखरन हत्या मामले में आरोपियों की सजा को सोमवार (20 फरवरी) को बरकरार रखा। कोझिकोड अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा 11 दोषियों को दी गई सजा और आजीवन कारावास की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा है। वहीं, कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिका को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और कौसर एडप्पागथु की खंडपीठ ने छह दोषियों - अनूप, किरमानी मनोज, कोडी सुनी, राजेश, मुहम्मद शफी और शिनोज को भी आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया।

कोर्ट ने दो लोगों के लिए जारी किया गैर-जमानती वारंट

वहीं, कोर्ट ने पूर्व सीपीएम ओंचियाम क्षेत्र समिति के सदस्य केके कृष्णन और पूर्व सीपीएम स्थानीय समिति के सदस्य जियोथी बाबू को बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया और उन्हें आईपीसी धारा 302 (हत्या) के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 120 बी के तहत भी दोषी पाया। हाई कोर्ट ने दोषियों को 26 फरवरी को इस धारा के तहत सजा पर सुनवाई के लिए पेश होने का निर्देश दिया और कृष्णन और बाबू के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया।

26 फरवरी को होगी अभियोजन पक्ष की सुनवाई

पीठ ने उम्रकैद की सजा पाने वाले नौ दोषियों को बढ़ी हुई सजा के लिए अभियोजन पक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए 26 फरवरी को उपस्थित होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने लंबू प्रदीपन (31 आरोपी) के लिए तीन साल की जेल की सजा को बरकरार रखा और सीपीएम कोझिकोड जिला सचिव पी मोहनन सहित शेष 22 आरोपियों को बरी करने की पुष्टि की।

बता दें कि चंद्रशेखरन की पत्नी केके रेमान ने एक अन्य याचिका दायर की थी। उन्होंने बरी किए गए एक आरोपी को दोषी ठहराने की मांग की गई थी।

साल 2012 में हुई थी टीपी चंद्रशेखरन की हत्या

बता दें कि यह मामला 4 मई, 2012 को रिवोल्यूशनरी मार्क्सवादी पार्टी के संस्थापक और नेता चंद्रशेखरन (52) की हत्या से संबंधित है। बाइक पर घर लौटते समय एक गिरोह ने उनकी हत्या कर दी थी। मामले के अनुसार, आरोपी (कुछ सीपीएम सदस्य) पार्टी छोड़ने और एक नई राजनीतिक इकाई स्थापित करने के लिए चंद्रशेखरन से नाराज थे।