बांग्लादेश की अतंरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. बांग्लादेश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं और यूनुस कानून व्यावस्था पर काबू पाने में असक्षम नजर आई है. यूनुस सरकार में हिंदुओं ही नहीं बल्कि शेख हसीना सरकार के समर्थकों और पार्टी सदस्यों के ऊपर हिंसा हुई है. अब यूनुस बेलगाम होकर घूम रहे थे, लेकिन अब नहीं घूम पाएंगे क्योंकि प्रवासी बांग्लादेशियों ने ही यूनुस के खिलाफ मौर्चा खोल दिया है.

ICC, UN, के बाद अब इंटरपोल में भी यूनुस के याचकाएं दायर की गई हैं. जिसमें यूनुस पर मानवीय हिंसाओं के खिलाफ रेड नोटिस जारी करने की मांग की गई है. साथ ही इस याचिका में यूनुस को आतंकवादियों की मदद करने का आरोप लगाया है और कहा गया है कि नई सरकार आने के बाद उन्होंने देश की जेलों से 700 से ज्यादा आतंकियों को छोड़ दिया.

क्या होता है इंटरपोल का रेड नोटिस?
इंटरपोल का रेड नोटिस एक तरह का अलर्ट है जो दुनिया भर की पुलिस को भेजा जाता है. यह अलर्ट इसलिए भेजा जाता है ताकि पुलिस किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढ सके, जिसे या तो किसी दूसरे देश में मुकदमा चलाने के लिए पकड़ना है या जिसने कोई सज़ा पाई है और भाग गया है.

रेड नोटिस का मतलब यह नहीं है कि पुलिस तुरंत उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेगी, लेकिन यह उन्हें उस व्यक्ति पर नजर रखने और उसे पकड़ने की तैयारी करने के लिए कहता है, ताकि उसे वापस उस देश में भेजा जा सके जहां उसे पकड़ा जाना है.

शेख हसीना के खिलाफ अंतरिम सरकार ने भी की थी यही मांग
कुछ दिन पहले यूनुस सरकार ने शेख हसीना के खिलाफ इंटरपोल से रेड नोटिस जारी करने कहा था, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की जा सके. बता दें, शेख हसीना अगस्त में हुए तख्तापलट के बाद से भारत में रह रही हैं और बांग्लादेश बार-बार उनकी वापसी की मांग कर रहा है, ताकि उनके शासन के दौरान हुए जुल्म की सजा दी है.