सतीश कुमार पर कार्यवाही न होने से फर्जी शिक्षकों के हौसले बुलंद
गुना।संविदा शिक्षक भर्ती घोटाला वाला जिन्न निकलकर पूरे प्रशासन के सामने आ गया है इसके बाद भी शासन एवं प्रशासन कोई भी कदम नहीं उठा रहा है।इसके चलते एक ओर शिक्षा की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग रहे है बल्कि फर्जी कागजों से नौकरी पाने वालो के हौसले बुलंद हो रहे है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र, विकलांग प्रमाण पत्र और फर्जी मार्कशीट के आधार पर सीधी भर्ती द्वारा शिक्षा विभाग में घुसे हुए शिक्षकों ने अपनी जड़ शिक्षा विभाग में इतनी मजबूत कर ली है कि प्रमोशन और नियमितीकरण के समय भी बिना कागज देखे सभी को हरि झंडी दे दी। जिस्म सतीश कुमार तो एक ऐसे शिक्षक है जिन्होंने सतीश कुमार सहरिया का जाति प्रमाण पत्र जारी कराकर सतीश कुमार की मार्कशीट पर नौकरी हासिल कर ली।जिनकी मार्कशीट और प्रवेश पत्र में रोल नंबर तो समान है किंतु माता पिता के नाम में अमानता होने से उक्त मामला खुले में फर्जी कागजों का जान पड़ रहा है।जबकि शिक्षा विभाग के पुरोधा 181 पर भी केवल सर्विस बुक देखकर सतीश कुमार सहरिया को हरि झंडी दे रहे है। वर्तमान में सतीश कुमार सहरिया विजयपुर जनपद में पदस्थ है और वहां के संकुल प्राचार्य नौकरी के दौरान मूल कागजों की जांच किए बिना सर्विस बुक के आधार पर उन्हें साफ भर्ती से नियुक्त शिक्षक बता रहे है जवाब देने से पहले उन्होंने शिकायतकर्ता से बात करना या प्रमाण लेना भी उचित न समझा।181 जैसी भाजपा की महत्वपूर्य योजना को इन्होंने हल्के से लेना शुरू कर दिया है।मुख्यमंत्री मोहन यादव को संविदा भर्ती प्रक्रिया की पूरी पारदर्शिता से जांच करानी चाहिए। यदि कोई इस प्रकार की शिकायत सामने आती है तो जिला कलेक्टर और डी ओ को कम से कम संज्ञान तो लेना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है और फर्जी शिक्षकों का एक बड़ा कुनवा शिक्षा जगत पर हावी होता जान पड़ रहा है जिन्होंने कई पड़े लिखे युवाओं का रोजगार छीन लिया।