।राजेंद्र मीना जिसने बदरवास जनपद से हुई सीधी भर्ती में लटेरी के फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी हथियाने में सफलता हासिल कि वही सतीश कुमार सहरिया ने जनपद पंचायत गुना में हुई संविदा शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया में सतीश कुमार की मार्कशीट पर नौकरी हासिल करने में सफलता हासिल की है। ये दोनों ही अब शीघ्र शिक्षा विभाग के रडार पर आने लगे है।लगातार प्रकाशित होते समाचारों में इनकी कलई खुलने लगी है। जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी उक्त मामलों को लेकर अब कुछ सक्रिय होने को है।हालाकि भाजपा के चुने हुए जनप्रतिनिधि उक्त मामले में चुप्पी साधे हुए है ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश में हुए इस घोटाले पर कोई भी विधानसभा में प्रश्न उठाना क्यों नहीं चाहता। क्या भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने संगठित होकर वर्ष 2008 में हुई संविदा शिक्षक भर्ती में घोटाला किया है और अपने अपने रिश्तेदारों को इसका अनैतिक लाभ दिलाया है। हालाकि ये बात तो तय है कि उक्त भर्ती पूरी तरह लेन देन कर हुई है जिसमें नेताओं और अधिकारियों के मिलने वालों ने जितना फर्जी हो सका उतना फर्जी कार्य करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।ऐसे मामले निकलकर सामने आ रहे है जो खुले भ्रष्टाचार के प्रमाण आपने आप बया कर रहे है। सतीश कुमार शर्मा कि अंकसूची पर सतीश कुमार सहरिया जो जनपद पंचायत गुना से फर्जी तरीके से शिक्षक नियुक्त हुए है उन्होंने बड़ा खेल खेला है और सतीश कुमार की मार्कशीट पर पिछले कई सालों से नौकरी कर रहे है जिसमें मार्कशीट और रोल नंबर तो समान हैं किंतु दोनों में माता पिता के नाम में अंतर है।दूसरी ओर राजेंद्र मीना ने लटेरी से अपना जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जनजाति का बनवा कर बदरवास जनपद से नौकरी हथिया ली।यहां चौंकाने वाली अहम बात ये है कि इनकी पत्नी ने जो नौकरी हासिल की है वह पिछड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र से हासिल की है।चुकी पूर्व में लगातार मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान का शासन रहा है वे इस मामले में किसी प्रकार से आगे नहीं बढ़ सकें। किंतु अब मोहन यादव को तो बेरोजगार युवाओं की मदद करनी चाहिए और उक्त मामले की बड़ी जांच करानी चाहिए। बॉक्स अधिकारी बोले कि कार्यवाही कि जाएगी जिला शिक्षा अधिकारी सी.एस सिसोदिया ने कहां कि उक्त मामले मे मैं खुद जांच करकर उचित से उचित कार्यवाही करूँगा।और भी कई अधिकारियों ने दस्तावेज़ देखकर कहां कि इन दोनों के खिलाफ एफआईआर समेत वसूली कि भी कार्यवाही होना निश्चित है क्योंकि इस प्रकार के फर्जीवाड़ें मे जेल जाने कि कार्यवाही ही होती देखी हैं। बॉक्स गुना कलेक्टर सत्येंद्र सिंह को हमारी टीम द्वारा व्हाट्सएप के माध्यम से सूचित किया उक्त दोनों फर्जी शिक्षकों के बारे मे और कलेक्टर सत्येंद्र सिंह ने दस्तावेज देखकर जवाब दिया कि में इस मामले मे जल्द जांच कराते हैं।

न्यूज़ सोर्स : दिनेश यादव/विवेक व्यास