आज के समय में हर दूसरा काम डिजिटली हो रहा है। हर दूसरा स्मार्टफोन यूजर अपने फोन का इस्तेमाल कर डिजिटल पेमेंट कर रहा है। घर का राशन मंगवाने से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक सभी काम के लिए डिजिटल पेमेंट का तरीका ही सबको भाता है।

अगर आप भी डिजिटल पेमेंट के इस समय में क्यू आर कोड स्कैन कर पेमेंट करते हैं तो ये जानकारी आपके लिए और भी जरूरी हो जाती है।

भारत में क्यूआर कोड स्कैम तेजी से अपने पैर पसार रहा है। 2017-2023 तक ऐसे मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिनमें क्यूआर कोड, मालवेयर वाले लिंक और डेबिट-क्रेडिट कार्ड से जुड़े फ्रॉड हुए हैं।

क्या है क्यूआर कोड स्कैम

दरअसल, क्यूआर कोड स्कैम में साइबर अपराधी किसी भी ऑथराइज्ड वेबसाइट के क्यूआर कोड को अपने क्यूआर कोड से बदल देते हैं। अधिकतर मामलों में अटैकर्स के निशाने पर बिजनेस वेबसाइट रहती हैं।

जैसे ही किसी बिजनेस वेबसाइट पर व्यक्ति क्यू आर कोड को स्कैन करता है, यह फिशिंग यूरआएल पर रिडायरेक्ट हो जाता है।

मालवेयर वाली वेबसाइट पर पहुंचने के साथ ही साइबर अपराधी यूजर क्रेंडिशियल की मांग कर सकता है। इसके बाद अटैकर के हाथ में व्यक्ति का सोशल मीडिया हैंडल और ईमेल अकाउंट तक का कंट्रोल आ जाता है।

कई बार क्यूआर कोड को स्कैन करने पर इंटरनेट यूजर किसी फेक ऐप स्टोर पर पहुंच जाता है, जहां यूजर को मालवेयर वाला एप्लिकेशन डाउनलोड करने को कहा जाता है।

क्यूआर कोड स्कैम से ऐसे रहें सुरक्षित

सिक्योर नेटवर्क का करें इस्तेमाल

अगर आप भी पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं तो आपको क्यू आर कोड स्कैन करने की सलाह नहीं दी जाती है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए एक सुरक्षित नेटवर्क का इस्तेमाल करें।

यूपीआई आईडी न करें शेयर

क्यूआर कोड स्कैम से बचने के लिए जरूरी है कि किसी अनजान शख्स के साथ यूपीआई आईडी और बैंक डिटेल्स न शेयर की जाएं। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को वेरिफाई करना भी जरूरी है।

क्यूआर रीडर का कर सकते हैं इस्तेमाल

क्यूआर कोड स्कैन करते हैं तो फोन में क्यूआर कोड स्कैनर ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। ऐसे बहुत से ऐप्स की सुविधा मौजूद है, जिनमें यूआरएल और कंटेंट का प्रीव्यू डेस्टिनेशन पर पहुंचने से पहले ही मिल जाता है।