मुंबई। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के एनसीपी में बगावत करने के बाद एनसीपी के दो गुट बन गए. इसके बाद शरद पवार गुट आक्रामक हो गया था. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बैठक की और कार्रवाई करने की बात कही लेकिन येवला में बैठक के बाद शरद पवार गुट में शांति हो गई. इतना ही नहीं लगातार दो दिन अजित पवार अपने विधायकों के साथ शरद पवार से वाईबी चव्हाण सेंटर में जाकर मुलाकात की मगर इतना सब कुछ होने के बावजूद शरद पवार ने चुप्पी साढ़े रखी है. जिससे यह चर्चा सुनी जा रही है कि कहीं कांग्रेस और उद्धव ठाकरे को अँधेरे में तो नहीं रखे है शरद पवार। कहा भी यही जा रहा है कि ईडी के डर से अजित पवार और उनके साथ एनसीपी के वो आठ वरिष्ठ विधायक जिनमें छगन भुजबल, हसन मुश्रीफ जैसे दागी नेता हैं, वे सभी कार्रवाई से बचने के लिए भाजपा  का दामन थाम लिया है. अगर समय बदला तो फिर पुनः घर वापसी भी कर लेंगे. वहीं दूसरी ओर शरद पवार गुट और अजित पवार गुट के विधायक मानसून सत्र में एक साथ चर्चा करते नजर आए. सूत्रों की मानें तो दो दिन पहले शरद पवार गुट के जयंत पाटिल ने शरद पवार गुट के विधायकों के लिए दोपहर का भोजन का आयोजन किया था. इसमें विधायकों ने सवाल उठाया कि अजित पवार गुट के खिलाफ कोई ठोस रुख क्यों नहीं है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने अब शरद पवार को नोटिस जारी किया है. इसलिए राजनीतिक गलियारों में यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि शरद पवार की अगली भूमिका क्या होगी. एनसीपी भले ही टूट गई हो, लेकिन बिखरी हुई नहीं दिख रही है. इसका ताजा संकेत उपमुख्यमंत्री अजित पवार द्वारा निधि  आवंटन में देखने को मिला. इसके अलावा सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा में अजित पवार गुट के नेता सुनील तटकरे और जयंत पाटिल की मुलाकात का एक खास पल सामने आया. इतना ही नहीं दोनों गले मिले और कुछ देर तक बातचीत भी की। हालांकि, दोनों के बीच क्या बात हुई यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। जब दोनों एनसीपी के प्रदेश अध्यक्षों की मुलाकात हुई तो राजनीतिक हलके में एक ही चर्चा थी. एनसीपी में फूट के चलते अजित पवार ने खुद को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित कर दिया था. शरद पवार खुद एनसीपी के सर्वोच्च पद पर हैं. भारत निर्वाचन आयोग को भेजे गए पत्र में अजित पवार को भी अध्यक्ष दर्शाया गया है. दूसरी ओर, महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अपना पद बरकरार रखा। आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनाकर रखी गई है. क्या जांच एजेंसियों के डर से पवार परिवार कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के साथ कोई पावर गेम तो नहीं कर रहा ये अंदरखाने चर्चा का विषय बना हुआ है. हालाँकि शरद पवार हर बार यही दोहरा रहे हैं कि वे भाजपा को समर्थन नहीं करेंगे लेकिन दूसरी ओर उनके भतीजे अजित पवार हों या फिर शरद पवार के वो सभी करीबी नेता जिन्होंने भाजपा दामन थामा है, उनके खिलाफ शरद पवार ने चुप्पी साध रखी है. इसलिए राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा सुनी जा रही है कि कांग्रेस एवं उद्धव ठाकरे के साथ कहीं शरद पवार डबल गेम तो नहीं खेल रहे ?