बढ़ती महंगाई और खर्च के कारण हर व्यक्ति अपनी संपत्ति को बढ़ाना चाहता है। इसके लिए वो निवेश का बेहतर से बेहतर विकल्प की तालाश करता है ताकि कम जोखिम में ज्यादा और सुरक्षित रिटर्न प्राप्त कर सके। निवेश के लिए म्यूचुअल फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट दोनों अच्छा विकल्प माने जाते हैं। लेकिन म्यूचुअल फंड में आकर्षक ब्याज दरों के कारण एफडी का क्रेज कम हो गया है। म्यूचुअल फंड में भी डेट (Debt) म्यूचुअल फंड ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है तो क्या अब पारंपरिक निवेश माने जाने वाले बैंक एफडी की चमक खत्म होते जा रही है? चलिए आज हम आपको बताते हैं कि डेट म्यूचुअल फंड एफडी से क्यों बेहतर साबित हो रहा है।

क्या होता है डेट म्यूचुअल फंड?

डेट फंड एक म्यूचुअल फंड योजना है जो निश्चित आय उपकरणों, जैसे कॉर्पोरेट और सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट लोन प्रतिभूतियों और मुद्रा बाजार उपकरणों आदि में निवेश करती है जो पूंजी प्रशंसा की पेशकश करते हैं। डेट फंड को फिक्स्ड इनकम फंड या बॉन्ड फंड भी कहा जाता है। डेट फंड उन निवेशकों के लिए आदर्श हैं जो नियमित आय का लक्ष्य रखते हैं, लेकिन जोखिम से बचते हैं।

क्यों पर रहा डेट फंड एफडी पर भारी?

डेट म्यूचुअल फंड (DMF) जल्दी निकासी के लाभ के साथ बैंक एफडी की तुलना में थोड़ा अधिक रिटर्न प्रदान करता है। बैंक चुनी गई अवधि के आधार पर एफडी के लिए पूर्व-निर्धारित ब्याज दर प्रदान करते हैं एक अच्छा फंड मैनेजर पैसे की उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और एक निवेशक को DMF पर विचार करना चाहिए जो AAA-रेटेड प्रतिभूतियों में निवेश करता है। थोड़ा अधिक रिटर्न के साथ सुरक्षित निवेश DMF को एक बेहतर विकल्प बनाता है निवेशकों को DMF का एक फायदा यह भी मिलता है कि कोई भी बहुत कम लॉक-इन के बाद इससे बाहर निकल सकता है, लेकिन बैंक एफडी में आप ऐसा नहीं कर सकते। एफडी में अगर आपने प्री-मैच्यौर एक्जिट किया तो आपको पेनाल्टी भरनी पड़ती है। टैक्स सिस्टम में हुए बदलाव के बाद DMF, बैंक एफडी के बराबर आ गया है। इसका मतलब रिटर्न पर निवेशक की अन्य आय के समान टैक्स लगाया जाता है। डेट प्रतिभूतियां ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील होती हैं और रिटर्न, ब्याज दरों के विपरीत आनुपातिक होते हैं जबकि बैंक एफडी ऐसा नहीं होते हैं। 1 अप्रैल 2023 को वित्त विधेयक में संशोधन कर लॉन्ग टर्म डेट म्यूचुअल फंड के लिए टैक्स बेनिफिट को सरकार ने खत्म कर दिया गया था डेट फंड पर शॉर्ट टर्म गेन्स (यानी तीन साल से कम) पर आपके टैक्स स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगता है। डेट म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर अब निवेशक के टैक्स स्लैब दरों के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है। जबकि एफडी रिटर्न के लिए, लाभ पर आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा।