सनातन धर्म में भगवान शिव को बहुत कृपालु और दयालु कहा जाता है. कहते हैं कि भगवान शिव बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि भगवान शिव के प्रिय व्रत हैं. मान्यता है कि जो भक्त भोलेशंकर के ये व्रत रखते हैं, भगवान उनसे शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस बाद बेहद शुभ संयोग है कि प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का व्रत एक ही दिन पड़ रही है. इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है

भौम प्रदोष को लेकर राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि वर्ष में दो पक्ष होता है दोनों पक्षों में एक- एक प्रदोष व्रत पड़ता है. एकादशी के ठीक तीसरे दिन यानी त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. यह प्रदोष व्रत सायंकालीन बेला है. कई बार द्वादशी तिथि पर शाम को यदि त्रयोदशी तिथि लग जाती है तो उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ का व्रत है. प्रदोष काल में प्रदोष व्रत के दिन यदि उनकी पूजा और अभिषेक किया जाए तो भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं.

जरूर करें ये काम
पंडित मनोज शुक्ला ने आगे कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष काल के दौरान भगवान भोलेनाथ प्रसन्न रहते हैं. इस समय में इनकी पूजन अभिषेक करना चाहिए. हालांकि सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और 45 बाद का समय प्रदोष व्रत कहलाता है. वैज्ञानिक ऋषि मुनियों ने इस समय को पूजन काल बताया है. ताकि इस समय घर के लोग दीपक प्रज्वलित कर दरवाजें पर दिखाना चाहिए. इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.

पूजा करने के फायदे
साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत भौम प्रदोष व्रत 9 जनवरी को पड़ेगा. इस बार इस दिन बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है. इस दिन मासिक शिवरात्रि भी पड़ रहा है त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी तिथि दोनों दोनों ही तिथि भगवान भोलेनाथ के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है. इसलिए इस दिन पूजन करना अति लाभदायक है.
यदि इस दिन सायंकालीन में व्रत रखें हैं और अभिषेक करते बनता है तो अवश्य करना चाहिए. अन्यथा दीप प्रज्वलित कर भगवान भोलेनाथ के सामने मनोकामना रखना चाहिए ऐसे में भगवान भोलेनाथ मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.