साल 2024 की सबसे महत्वपूर्ण अमावस्या मौनी अमावस्या है, जो 9 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. मौनी अमावस्या के बाद सबसे महत्वपूर्ण सोमवती अमावस्या मानी गई है. सोमवती अमावस्या के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है. उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करने का विधान है. सोमवती अमावस्या पर व्रत रखकर माता पार्वती और देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है. उनकी कृपा से दांपत्य जीवन सुखमय होता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डाॅ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि सोमवती अमावस्या कब है? सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान कब करें? सोमवती अमावस्या की पूजा विधि क्या है?

किस दिन है सोमवती अमावस्या 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या को सोमवती अमावस्या है. इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 08 अप्रैल को प्रातः 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि उस रात 11 बजकर 50 मिनट तक मान्य होगी. ऐसे में सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को है, उस दिन चैत्र अमावस्या भी होगी.

कब होती है सोमवती अमावस्या?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जो भी अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है, उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. वैसे ही मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या भौमवती अमावस्या और शनिवार के दिन होने वाली अमावस्या शनि अमावस्या या शनैश्चरी अमावस्या कहलाती है.

सोमवती अमावस्या का स्नान-दान मुहूर्त
8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या का स्नान और दान ब्रह्म मुहूर्त में 04:32 एएम से लेकर 05:18 एएम से शुरू होगी. इस समय से पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई जाएगी. प्रातःकाल से ही इंद्र योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है.

सोमवती अमावस्या पूजा विधि
सोमवती अमावस्या को स्नान और दान करने के बाद व्रत और पूजा संकल्प लें. उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. भगवान शिव को अक्षत्, बेलपत्र, भांग, मदार, धूप, दीप, शहद, नैवेद्य आदि अर्पित करें. माता पार्वती को अक्षत्, सिंदूर, फूल, फल, धूप, दीप, श्रृंगार सामग्री आदि अर्पित करें. इसके बाद शिव चालीसा और पार्वती चालीसा का पाठ करें. फिर दोनों की आरती करें.

सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं, पाप से मुक्ति मिलती है. वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं. सोमवती अमावस्या पर स्नान और दान करने से पितर खुश होते हैं. तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.