इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले थम नहीं रहे हैं। लगातार हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ टारगेट किलिंग की घटना में वृद्धि हुई है।

सिखों को बनाया जा रहा निशाना

पेशावर के याकातूत इलाके में शनिवार को अज्ञात हमलावरों ने एक किराने दुकान के मालिक मनमोहन सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। इससे पहले शुक्रवार को सिख समुदाय के तरलोक सिंह को गोली मार दी गई थी, जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गए थे।

वहीं, पिछले महीने लाहौर में कुछ हमलावरों ने एक राहगीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राहगीर की पहचान सरदार सिंह के रूप में हुई थी। अज्ञात हमलावरों ने उसे सिर में गोली मारी थी। इस साल में अब तक सिख समुदाय के लोगों को तीन बार गोली मारने की घटना सामने आ चुकी हैं।

चौंकाने वाले आंकड़े

एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में जनवरी से जून 2023 तक ईसाई और हिंदू धर्म की 38 महिलाओं का अपहरण किया गया। उन सबके जबरन धर्म परिवर्तन करवाए गए। साथ ही सात महिलाओं की हत्या कर दी गई।

सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1987 से 2022 के बीच अल्पसंख्यक समुदाय के 2,120 व्यक्तियों को झूठे आरोपों में फंसाया गया। इस वजह से उन्हें लंबे समय तक मुकदमों, कुव्यवस्था और इससे भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ा।

वहीं, बीते 36 साल के दौरान ईशनिंदा कानून के नाम पर 88 लोगों की न्यायेतर हत्या कर दी गई। इस वजह से पाकिस्तान की छवि भी खराब हुई है।

संयुक्त राष्ट्र भी उठा चुका है सवाल

इधर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का कहना है कि पाकिस्तान में हर साल गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर एक हजार से अधिक हमले होते हैं। इनमें सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र सिंध, पेशावर, कराची और ब्लूचिस्तान हैं।

पेशावर में हुई मनमोहन सिंह की हत्या मामले में पाकिस्तान की पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि पेशावर में करीब 300 सिख परिवार रह रहे हैं, जिनके साथ आए दिन घटनाएं होती रहती है।