नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने राज्य की 87 जातियों को केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को भेजी है। इन 87 जातियों में से 80 जातियां मुस्लिमों की हैं, जबकि सिर्फ सात जातियां ही हिन्दू समुदाय से जुड़ी हैं। राज्य सरकार की सिफारिश के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने ब्रिटिश भारत में इन जातियों की स्थिति की जांच करने के लिए इंपीरियल गजेटियर से जुड़े रिकॉर्ड मांगे हैं। फिलहाल पश्चिम बंगाल की 98 जातियां केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल हैं।  ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन 87 जातियों के नामों में से दो जातियों के नामों में सुधार है, जबकि 85 जातियों को नए सिरे से ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है। एनसीबीसी राज्य सरकार की सिफारिशों की जांच कर रही है। इस बीच राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने ईटी से कहा कि 87 प्रस्तावों में से 80 मुस्लिम समुदाय से संबंधित जातियों के नाम हैं।
गौरतलब है ‎कि पश्चिम बंगाल की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 16 फीसदी है। राज्य की ओबीसी सूची में 179 जातियां शामिल हैं। एनसीबीसी के आंकड़ों के मुताबिक इनमें सिर्फ 61 हिंदू जातियां ही ओबीसी सूची में हैं, जबकि मुस्लिमों की 118 जातियां ओबीसी सूची में शामिल हैं। हिंदू बहुल राज्य में यह अजीब है और हमने पश्चिम बंगाल को छोड़कर किसी अन्य राज्य में ऐसा नहीं देखा है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार से ब्रिटिश भारत के रिकॉर्ड में इन जातियों की स्थिति जांच करने को कहा है। अहीर ने कहा ‎कि हमने राज्य से यह जांचने के लिए कहा है कि क्या इनमें से किसी भी जाति को मुस्लिम बनने से पहले ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया था। राज्य सरकार को हमें इंपीरियल गजेटियर, मंडल सूची और राज्य ओबीसी सूची में उनका दर्जा दिखाना होगा। एनसीबीसी पश्चिम बंगाल में आरक्षण नीति के कार्यान्वयन में विसंगतियों को उजागर करता रहा है। फरवरी में एक क्षेत्रीय दौरे के बाद एनसीबीसी ने पाया था कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी अप्रवासियों ने बंगाल में ओबीसी प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है और आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी राज्यों को अपने-अपने राज्यों में ओबीसी की सूची में जातियों को शामिल करने का अधिकार है, लेकिन ओबीसी की केंद्रीय सूची में उन्हीं जातियों को शामिल करने के लिए अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को भेजनी होती है।