मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाते वक्त राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कांग्रेस का सहयोग तो ले लिया मगर उसकी अहमियत को लगातार नकारते हुए किसी भी फैसले में उसकी राय नहीं जानने का आरोप अक्सर कांग्रेस के नेताओं द्वारा लगाया जा रहा है. वहीँ राकांपा अध्यक्ष शरद पवार की राजनीतिक चाल से कांग्रेस परेशान बताई जा रही है. इससे यही लग रहा है कि महाराष्ट्र की सत्ताधारी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इस बीच महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले द्वारा राकांपा पर पीठ में छुरा घोंपने का बड़ा आरोप लगाए जाने के बाद दोनों दलों के बीच खटास सामने आ गई है. उधर राकांपा के नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी पलटवार करते हुए पटोले के बीजेपी से पुराने रिश्ते की याद दिलाई है. हालांकि प्रदेश राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटिल ने नाना पटोले की नाराजगी को स्थानीय मुद्दा बताते हुए गठबंधन में तनाव की खबरों को खारिज किया है. दरअसल महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले जिला परिषद चुनाव में राकांपा के बीजेपी से हाथ मिलाने से नाराज हैं. मंगलवार को गोंदिया जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में राकांपा ने प्रतिद्वंदी बीजेपी से मिलकर अपने प्रत्याशी को जितवाया था. इससे कांग्रेस उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद नाना पटोले ने राकांपा के लिए कहा था कि अगर आप दोस्त बने रहना चाहते हैं तो ईमानदार रहें और पीठ में छुरा ना घोंपे. गैर ईमानदार गठबंधन से अच्छा है दुश्मन सामने से खुलकर वार करे. पटोले ने ये भी कहा था कि वह राकांपा के पिछले ढाई साल के कारनामों से कांग्रेस आलाकमान को उदयपुर सम्मेलन में अवगत कराएंगे. उधर राकांपा ने गोंदिया मामले को स्थानीय घटना बताकर खारिज करने की कोशिश की. सरकार में मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पटोले के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि गोंदिया में कांग्रेस और राकांपा के स्थानीय नेताओं के बीच कुछ न कुछ मतभेद रहे होंगे. हम इसे देखेंगे. राकांपा हमेशा चाहती है कि तीनों दल गठबंधन में साथ रहें. उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार ने पटोले की ‘पीठ में छुरा घोंपने’ वाली टिप्पणी को हास्यास्पद बताते हुए पलटवार किया. पवार ने कहा कि क्या भाजपा को भी उन पर (पटोले) पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाना चाहिए क्योंकि उन्होंने 2018 में कांग्रेस में शामिल होने के लिए भगवा पार्टी छोड़ दी थी. कांग्रेस और राकांपा के बीच इन झड़पों को स्थानीय कलह बताकर इस आशंका से इनकार किया जा रहा है कि इसका गठबंधन पर असर नहीं पड़ेगा. लेकिन सूत्रों की मानें तो कांग्रेस में ये चिंता बढ़ती जा रही है कि राकांपा राज्य में धीरे-धीरे उसकी जगह ले रही है. 1990 के दशक में अपनी स्थापना के बाद से राकांपा महाराष्ट्र में अपना विस्तार कर रही है, जबकि कांग्रेस की हैसियत लगातार घटी है. 1999 का राज्य विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़ा था. इसमें कांग्रेस को 75 सीटें मिली थीं जबकि राकांपा के खाते में 53 सीटें आई थीं. उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 2006 में 69 सीटें, 2009 में 82, 2014 में 42 और 2019 में 44 सीटें मिलीं. राकांपा का आंकड़ा देखें तो उसने 2004 में 71, 2009 में 62, 2014 में 41 और 2019 में 54 सीटें जीतीं.