मध्य प्रदेश में कभी अर्जुन सिंह की तूती बोलती थीं। जब वे मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे थे, तो उनके तीन चेलों की चर्चा खूब थी। भोपाल से लेकर दिल्ली तक इन तीनों की पहुंच हुई। जब अर्जुन सिंह केंद्र की राजनीति में आए और केंद्रीय मंत्री बने, तो इन तीन चेलों यानी शिष्यों की भी पौ-बारह हुई। कालांतर में इन तीनों ने मुख्यमंत्री की कुर्सी तो पाई, लेकिन कांग्रेस की लुटिया डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ये तीन हैं - दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और अजीत जोगी। 

दिग्विजय सिंह 1993 से 2003 तक दस साल के लिए मध्यप्रदेश में, अजीत जोगी मध्यप्रदेश बंटवारे के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने| बाद में कांग्रेस से अलग हो कर जनता कांग्रेस बनाई| जोगी की जनता कांग्रेस की वजह से कांग्रेस 15 साल तक छत्तीसगढ़ की सत्ता से बाहर रही, उनके देहांत के बाद उनका बेटा अमित जोगी उस पार्टी को चला रहा है और इस समय भी चुनाव में कांग्रेस के सामने ताल ठोक रहा है|

अर्जुन सिंह के तीसरे चेले कमलनाथ 2018 में एक साल के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह एक साल ही मुख्यमंत्री रह पाए। कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनवाने में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की अहम भूमिका थी| दिग्विजय सिंह राघोगढ़ के राजा बलभद्र सिंह के बेटे हैं, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर राज घराने के वारिस हैं| ग्वालियर और राघोगढ़ राजघरानों में पुरानी दुश्मनी के चलते दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया| अब वही दिग्विजय सिंह कमलनाथ के रास्ते का काँटा बन रहे हैं|

जब चुनाव शुरू हुआ था, तो लगता था कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस जीत रही है| लेकिन टिकटों की मारामारी में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की खुली भिडंत हो गई| दोनों खेमे एक दूसरे के कपड़े फाड़ रहे हैं| बल्कि कमलनाथ ने तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खुल्लम खुल्ला कह दिया कि दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ो, वही टिकटों में गड़बड़झाला करवा रहे हैं|

कांग्रेस में यह पुराना इतिहास भी रहा है| डी.पी. मिश्रा ने श्यामा चरण शुक्ला को सीएम बनवाया था| बाद में डी.पी. मिश्रा ने ही उनके पाँव खींचे और मुख्यमंत्री पद से हटवा दिया| अब वही काम दिग्विजय सिंह कमलनाथ के साथ कर रहे हैं| कांग्रेस की इस आपसी सिर फुटौवल ने भाजपा का रास्ता आसान कर दिया है|