भोपाल ।  सर्दी के इस सीजन में राजधानी के कुछ निजी स्कूल गर्म कपड़ों की पट्टियों के रंग बदलकर अभिभावकों पर नया खरीदने का दबाव बना रहे हैं। इसमें कार्मल कान्वेंट, माउंट कार्मल, कैंपियन स्कूल सहित अन्य प्रतिष्ठित स्कूल शामिल हैं। निजी स्कूलों की इस मनमानी से छोटे दुकानदार भी परेशान हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने सर्दी के सीजन को देखते हुए गर्म कपड़े पहले ही मंगा लिए थे। अब स्कूलों की ओर से ब्लेजर की पट्टियों का रंग बदल देने या लोगो लगाए जाने से उनके मंगाए गए कपड़े बेकार हो गए हैं। इधर, अभिभावकों को भी एक बच्चे के गर्म कपड़ों पर दो से तीन हजार रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। छोटे दुकानदारों का कहना है कि हर साल कुछ निजी स्कूल बड़े दुकानदार से साठगांठ कर गणवेश में मामूली बदलाव कर देते हैं, जिससे उनकी बिक्री बढ़ सके।

कुछ निश्चित दुकानों पर मिल रहे गणवेश

कई निजी स्कूल अभिभावकों को गर्म कपड़े खरीदने के लिए निश्चित दुकानों के नाम बता रहे हैं। स्कूल संचालक भी कुछ निश्चित दुकानों पर ही अपने नाम का गणवेश मंगवाते हैं। वहीं, छोटे दुकानदारों का कहना है कि स्कूल और गणवेश की दुकानों के बीच कमीशन तय होते हैं। स्कूल का लोगो और नाम लगने से स्वेटर, ब्लेजर या ट्रैक शूट की कीमत दोगुना तक बढ़ जाती है।

सफेद रंग की पट्टियों को हटाया

कार्मल कान्वेंट स्कूल ने अपने तीनों स्कूलों के हरे रंग के ब्लेजर से सफेद रंग की पट्टयों को हटा दिया है। इस कारण अभिभावकों को नया खरीदना पड़ रहा है। वहीं दुकानदारों ने भी पुराने ब्लेजर का जो स्टाक मंगाया था, वह अब बेकार हो गया है। वहीं कुछ स्कूलों ने ब्लेजर का रंग ही बदल दिया है।

केवी ने किया गर्म कपड़ों को अनिवार्य

राजधानी के केंद्रीय विद्यालयों (केवी) ने इस साल गर्म कपड़ों को अनिवार्य कर दिया है। अब दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली छात्राओं के अभिभावकों को सिर्फ एक माह के लिए गर्म कपड़ों से बने गणवेश खरीदने पड़ रहे हैं, क्योंकि तीसरी कक्षा में इसके डिजाइन बदल जाएंगे।

लोगो के कारण महंगे मिल रहे गर्म कपड़े

अभिभावक प्रियंका तिवारी ने बताया कि हाल ही में दो बच्चों के लिए चार हजार रुपये में गर्म कपड़े खरीदे। सामान्य स्वेटर 500 से 600 रुपये में मिल जाते हैं, लेकिन स्कूल का लोगो लगने से कीमत एक हजार से ज्यादा हो जाती है। वहीं अभिभावक विनीता शर्मा का कहना है कि बेटे के लिए 1900 रुपये में ब्लेजर खरीदा, जबकि सामान्य ब्लेजर 1200 तक में आ जाता है।

इनका कहना 

कुछ स्कूलों ने हाल ही में ब्लेजर की पट्टियों के रंग बदल दिए हैं। इस कारण पहले जो गर्म कपड़े मंगवाए थे, वे अब बेकार हो गए। ऐसे में नए गणवेश नहीं मिलने से अभिभावक परेशान हो रहे हैं।

- सिद्धार्थ जैन, गणवेश दुकानदार

अगर अभिभावक शिकायत करते हैं कि स्कूल वाले निश्चित दुकान से ही गणवेश खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- अंजनी कुमार त्रिपाठी, जिला शिक्षा अधिकारी, भोपाल