नई दिल्ली।  चीन और रूस मिलकर चांद पर परमाणु प्लांट बनाना चाहते हैं। इसके लिए दोनों मिलकर काम करेंगे। रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस के सीईओ यूरी बोरिसोव ने कहा कि 2033-35 में रूस और चीन मिलकर चांद की सतह पर न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाएंगे।
बोरिसोव ने कहा कि इस न्यूक्लियर पावर प्लांट को चांद की सतह तक पहुंचाने के लिए रूस न्यूक्लियर पावर से चलने वाला रॉकेट ज्यूस बनाएगा। ये एक कार्गो रॉकेट होगा और पूरी तरह से ऑटोमैटिक होगा। इसे चलाने के लिए इंसान की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ लॉन्चिंग पर इंसानों को ध्यान देना होगा।
परमाणु हथियार नहीं भेज रहे
बोरिसोव ने कहा कि यह न्यूक्लियर पावर प्लांट ऑटोमेटेड मोड में तैनात किया जाएगा। चांद पर पावर प्लांट लगाने के दौरान किसी भी इंसान को चांद पर नहीं भेजा जाएगा। पावर प्लांट बनाने की तकनीक पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट में टेक्निकल लूनर रोवर रहेंगे, जो रिसर्च करेंगे। साथ ही रोबोट्स रहेंगे। हम एनर्जी के लिए न्यूक्लियर प्लांट चांद पर लगा रहे हैं। अंतरिक्ष में किसी तरह का परमाणु हथियार नहीं भेज रहे हैं। स्पेस में न्यूक्लियर हथियार नहीं होने चाहिए।
रूस अंतरिक्ष में हमला करने वाले वेपन्स बना रहा
हाल ही में अमेरिका ने कहा था कि रूस अंतरिक्ष में हमला करने वाले वेपन्स बना रहा है। कुछ दिन पहले व्हाइट हाइस ने पुष्टि की थी कि रूस एंटी सैटेलाइट वेपन्स बना रहा है। एंटी सैटेलाइट हथियार से सैटेलाइट्स को मार गिराया जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इन हथियारों से सैटेलाइट को तबाह किया जा सकता है। इससे कम्युनिकेशन, नेविगेशन, निगरानी समेत कई सुविधाएं बंद हो जाएंगी। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक रूस ने यह हथियार अमेरिका के सैटेलाइट नेटवर्क को खत्म करने के लिए डिजाइन किया है। हालांकि रूसी उप-विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने अंतरिक्ष में परमाणु हथियार तैनात करने की अमेरिकी रिपोर्टों का खंडन किया है। साथ ही इसे मनगढ़ंत कहानी बताया है।