युवराज सिंह के बाद से भारतीय वनडे क्रिकेट टीम को नंबर-4 का एक सटीक बल्लेबाज नहीं मिल पाया है. भारत ने पिछले 5-6 सालों में इस नंबर के लिए अलग-अलग बल्लेबाजों को मौका दिया है, लेकिन कोई भी बल्लेबाज अपनी भूमिका को साबित नहीं कर पाया है. हालांकि, वर्ल्ड कप शुरू होने से ठीक पहले टीम इंडिया के कप्तान ने नंबर-4 की समस्या को लेकर कहा था कि, "पिछले वनडे वर्ल्ड कप के बाद से ही यह (समस्या) हमारा पीछा कर रहा है, और शायद विराट (कोहली) और (रवि) शास्त्री के समय में भी यह एक समस्या थी, लेकिन मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि हमारे (रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़) समय में यह कोई मसला ही नहीं रहा है."

टीम इंडिया के कप्तान को नंबर-4 की पोजिशन के लिए कभी भी कोई समस्या नहीं रही है, क्योंकि उन्हें पता था कि उनके पास इस पोजिशन के लिए एक सक्षम बल्लेबाज है, जो फिट होने की दौड़ में है, और वर्ल्ड कप शुरू होने तक टीम में वापस आ जाएगा. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को इसके बारे में बात करते हुए बताया कि, "हमारे पास श्रेयस अय्यर हैं. उन्हें सिर्फ चोट लगी थी, इसलिए उनकी जगह कुछ खिलाड़ियों को आज़माया जा रहा था, और वो मौके का फायदा नहीं उठा पाए. 'हवा' एक बार फिर लौट आई है, लेकिन मुझे पहले से पता था कि श्रेयस वापस आ जाएगा, इसलिए इस समस्या के लिए मेरी रातों की नींद कभी ख़राब नहीं हुई थी. वह (श्रेयस) हमारे लिए एकदम सही रहे हैं."

भारतीय क्रिकेट टीम में काफी लंबे वक्त से श्रेयस अय्यर जैसा कोई बल्लेबाज नहीं आया है, जिनके पास पहली गेंद से काउंटरअटैक करने वाला गेम हो. शायद सुरेश रैना कुछ हद तक वैसे ही बल्लेबाज थे, लेकिन उस वक्त युवराज सिंह ने इतनी अच्छी तरीके से खेला था, कि उनका समय ही अलग था. वह मैच बनाना जानते थे, और स्थिति के हिसाब से खेलते थे. उस वक्त युवराज सिंह धीरे खेलते थे, क्योंकि वह जानते थे कि अगर वह अंत तक रहेंगे तो टीम की जीतने की उम्मीद ज्यादा रहेंगी. अय्यर भी परिस्थिति के हिसाब से खेलते हैं, लेकिन उनका गेम को पढ़ने का तरीका और भूमिका अलग है. वह काउंटअटैक करते हैं, क्योंकि जानते हैं कि अगर माहौल बदला तो खतरा भी टल जाएगा. अगर वह आउट हो भी हो गए तो पीछे केएल राहुल हैं, जो एंकर की भूमिका निभा सकते हैं. इस तरह से राहुल के पीछे रहने से अय्यर का काउंटरअटैक टीम को एक शानदार बैलेंस प्रदान करता है.