धार ।  पर्युषण महापर्व आरंभ होने के पहले जिनालय शुद्धीकरण की जैन समाज की परंपरा के तहत पहली बार देशभर के दो हजार से अधिक जिनालयों का शुद्धीकरण तीन सितंबर को होगा। मालव भूषण तप शिरोमणि आचार्यश्री नवरत्नसागर सूरीश्वरजी के पट्टधर युवाचार्यश्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी की प्रेरणा से अभियान की शुरुआत मध्‍य प्रदेश के 200 जिनालयों से 2012 में हुई थी। इसके बाद से नवरत्न परिवार एवं मालवा-महासंघ मालवा सहित राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात सहित अन्य प्रदेशों में यह कार्य करने लगे। नतीजा यह है कि 2023 में यानी इस बार देश के दो हजार से अधिक जिनालयों का शुद्धीकरण किया जाएगा।

निश्शुल्क देते हैं सामगी

जिनालय शुद्धीकरण प्रभारी प्रितेश ओस्तवाल (इंदौर) ने बताया कि सात हजार कीमत की शुद्धीकरण सामग्री हर जिनालय को उपलब्ध कराई जाती है। नवरत्न परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश जैन डगवाला एवं मालवा महासंघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संतोष मेहता आदि के मार्गदर्शन में तैयारी हो रही है।

ओस्तवाल के अनुसार शुद्धीकरण में लगने वाले पाट लुछना, अंग लुछना, नेपकिन, समुद्री कण, वडी-खड़ी पाउडर, पीतांबरी, आंवला पाउडर, शिकाकाई पाउडर, अरीठा पाउडर, वाशिंग पाउडर, ब्रास, वासक्षेप, धूप, कपूर, मोरपिछि, पूजणी, वाडाकुचि, नलथैली, सुखड़ प्योर, केशर प्योर, प्लास्टिक ब्रास, प्लास्टिक कूचा, नाड़ा छड़ी, तिलक सली, तांबे की सली, दूध की छलनी, गलना, चामर, स्तवन किताब, पैकिंग-कवर आदि निश्शुल्क देते हैं।

ऐसे होता है शुद्धीकरण

प्रतिष्ठित पाषाण एवं धातुओं की मूर्तियां का विभिन्न औषधियों से विलेपन किया जाता है। इससे तमाम अशुद्धियां दूर होती हैं। मंदिर शिखर से फर्श तक एवं धार्मिक पुस्तकें, बर्तन सहित तमाम सामग्रियों की सफाई पूरा दल करता है।