भोपाल । राजधानी को बीते छह महीने में क्लीन सिटी बनाने से लेकर कैटल फ्री करने और अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू किए गए। इनमें से कुछ कार्रवाई तो एनजीटी के निर्देश के बाद शुरू हुईं, लेकिन एक-दो दिन बाद ही इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया।
शहर की सबसे बड़ी समस्या आरा मशीन को तीन महीने में शहर से बाहर शिफ्ट होना था, लेकिन चार महीने बाद भी कुछ नहीं हुआ। डेयरी विस्थापन और बिल्डरों को भी सिर्फ नोटिस देने तक ही आदेश रह गए। अब शहर को दो महीने में सोलर कैपिटल बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसी तरह के बीते छह महीने में कुछ बड़ी कार्रवाई जोर-शोर से शुरू हुईं, लेकिन कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आया।
ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण
ग्रीन बेल्ट में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई 25 नवंबर से शुरू हुई। एनजीटी ने नवंबर के तीसरे सप्ताह में इसके निर्देश दिए थे। उसके बाद शहर के सेंट्रल वर्ज से लेकर रोड साइड से हरियाली को काटकर किए गए करीब 700 अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई 4 दिन ही चली और 200 कब्जे हटे। एनजीटी के निर्देश के बाद कलियासोत नदी के 33 मी. दायरे के निर्माण को लेकर 700 नोटिस जारी किए। 19 दिसंबर से कार्रवाई शुरू हुई पर लोग स्टे ले आए। रेरा की करीब 22 करोड़ रुपए की राशि 218 फर्म ने दो साल से जमा नहीं की। 28 दिसंबर से सभी को नोटिस भेज 7 दिन का समय दिया था पर कुछ नहीं हुआ। दूध डेयरी संचालकों को नगर निगम ने 15 जनवरी तक पशुओं को निगम सीमा के बाहर विस्थापित करने का नोटिस दिया था। अन्यथा सख्त कार्रवाई की बात कही गई थी। यह भी ठंडे बस्ते में चली गई। आरा मशीनों को शिफ्ट करने के लिए 8 सितंबर को एयरपोर्ट रोड पर 45 एकड़ जमीन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग को सौंपी गई। चार महीने बाद भी एक भी आरा मशीन शिफ्ट नहीं हुईं।