भारत के कई हिस्सों में संकट मोचन हनुमान को बालाजी के नाम से जाना जाता है. राजस्थान के सिकराय तहसील के मेंहदीपुर में बालाजी धाम है, जिसके दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से वहां जाते हैं. उसी की तर्ज पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी बालाजी धाम बनाया गया है. अगर आप भी परेशान हैं और नए साल में अपनी परेशानियों को खत्म करना चाहते हैं, तो आप बालाजी धाम में अर्जी लगा सकते हैं. इसके लिए आपको राजस्थान जाने की जरूरत नहीं है बल्कि देहरादून के झाझरा में श्री सिद्ध हनुमान मंदिर बालाजी धाम के दर्शन कर सकते हैं.

मंदिर के पुजारी पंडित नागेंद्र डबराल शास्त्री ने जानकारी देते हुए कहा कि वैसे तो हनुमान जी का यह मंदिर काफी प्राचीन है, जो कभी बहुत छोटा हुआ करता था लेकिन साल 2007 में राजस्थान के बालाजी धाम के अनुरूप ही देहरादून में बालाजी धाम की स्थापना की गई ताकि जो लोग अपने संकटों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें राजस्थान जाने की जरूरत ना पड़े. उन्होंने बताया कि यह मेहंदीपुर बालाजी धाम की शाखा है. वहीं से ही ज्योत लाई गई थी.

विशेष तरह का प्रसाद चढ़ता है

उन्होंने बताया कि इस मंदिर परिसर में संकट मोचन हनुमान, दण्डनायक प्रेतराज, सीता राम दरबार, बालाजी की सेना के सेनापति भैरव बाबा सभी विराजमान हैं, बिल्कुल उस तरह जिस तरह राजस्थान के बालाजी धाम में विराजमान हैं. यहां संकटमोचन के लिए अर्जियां लगती हैं. मंगलवार के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यहां हर भगवान पर विशेष तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जैसे- बालाजी महाराज के लिए लड्डू, भैरव बाबा के लिए बताशा और प्रेतराज जी के लिए घी, नारियल और बूरा चढ़ाया जाता है. यहां लोग अपनी मनोकामना के लिए अर्जी लगाते हैं. कई लोग मन्नतों के लिए चुनरी बांधते हैं और जब पूरी होती है, तो वे इस चुनरी को खोल जाते हैं. कई लोग भंडारा करवाते हैं.

मंदिर में हर संकट का निवारण!

पंडित नागेंद्र डबराल ने बताया कि बालाजी धाम में आने से लोगों के संकट का निवारण होता है. व्यक्ति 100 फीसदी बेहतर होकर जाता है. जीवन में संकट, परिवार का कलेश, कारोबार और परिवार पर जादू, टोना-टोटका या भूत-प्रेत जैसी बाधा के साथ जब कोई व्यक्ति अर्जी लगाने आता है, तो बालाजी उसकी विपत्तियों को हर लेते हैं और प्रेतराज प्रेतों को दंड देते हैं. जिस व्यक्ति पर भूत-प्रेत का असर होता है, उसे प्रेतराज के सामने खड़ा किया जाता है. नकारात्मक शक्तियां प्रेतराज से डरकर हमेशा के लिए भाग जाती हैं. मंदिर में एक बार अर्जी लगती है और 7 बार भोग लगाया जाता है.