न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस हिपकिंस रविवार को चीन दौरे पर बीजिंग के लिए रवाना हुए। हालांकि उनका यह दौरा एक अजीब वजह के चलते दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल क्रिस हिपकिंस चीन दौरे पर एयरफोर्स के दो विमान लेकर गए हैं। इनमें से एक विमान में प्रधानमंत्री और अन्य लोग सवार थे तो दूसरा विमान बैकअप के लिए भेजा गया। अब इसे लेकर न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री अपने ही देश में आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। 

बता दें कि न्यूजीलैंड के पीएम न्यूजीलैंड एयरफोर्स के बोइंग 757 विमान से चीन दौरे पर गए हैं। न्यूजीलैंड एयरफोर्स के बेड़े के ये विमान 30 साल पुराने हैं और अपने इस्तेमाल की अवधि लगभग पूरी कर चुके हैं। 2028-30 में इन विमानों को बदला जाना है। यही वजह है कि अक्सर इन विमानों में तकनीकी खराबी आ जाती है। चीन दौरे पर जाते हुए भी विमान में तकनीकी खराबी की वजह से कोई परेशानी ना हो, इसी वजह से एक विमान को बैकअप के तौर पर ले जाया गया। हालांकि इस फैसले को लेकर न्यूजीलैंड के पीएम लोगों के निशाने पर आ गए हैं। 

चीन, न्यूजीलैंड का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। साथ ही क्रिस हिपकिंस के साथ कई कंपनियों के शीर्ष अधिकारी भी चीन दौरे पर गए हैं ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाया जा सके। ऐसे में क्रिस नहीं चाहते थे कि उनके इस अहम दौरे में किसी तरह का व्यवधान हो लेकिन दो विमान चीन दौरे पर ले जाने के लिए विपक्षी पार्टियां क्रिस हिपकिंस की आलोचना कर रही हैं। 

न्यूजीलैंड की लिबरटेरियन एसीटी पार्टी के नेता डेविड सेमर ने पीएम के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि एक अतिरिक्त विमान इतनी कार्बन डाइ ऑक्साइड छोड़ेगा कि वह एक फोर्ड रेंजर से न्यूजीलैंड के 606 चक्कर लगाने के बराबर होगी। सेमर ने कहा कि कुछ लोग यात्रा के दौरान मोबाइल चार्जर एक्स्ट्रा लेकर जाते हैं लेकिन प्रधानमंत्री तो विमान ही अतिरिक्त साथ ले गए। वहीं पुराने विमानों की वजह से न्यूजीलैंड की एयरफोर्स का भी मजाक उड़ रहा है। सोशल मीडिया पर भी क्रिस हिपकिंस को काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

बता दें कि राजकीय दौरे के दौरान विमानों में खराबी की पूर्व में कई घटनाएं हो चुकी हैं। पूर्व पीएम जेसिंडा अर्डर्न को एक बार विमान में खऱाबी की वजह से अंटार्कटिका पर लैंड करना पड़ा था। बाद में एक इटैलियन विमान से वह वापस लौटीं थी। इसी तरह एक बार अमेरिका दौरे में भी उनके विमान में खराबी आई थी और उन्हें यात्री विमान से वापस न्यूजीलैंड लौटना पड़ा था। इसके चलते न्यूजीलैंड की सरकार को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा था।