उत्तराखंड के नैनीताल में हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे हनुमान गढ़ी (Hanuman Garhi Nainital) कहा जाता है. यह मंदिर नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) ने बनवाया था. महाराज 1950 में इस जगह आए थे. बाबा ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर यहां एक कुटिया का निर्माण किया. साथ ही कुटिया के पास छोटे हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की और 1953 में बाबा ने मंदिर में बड़े हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की. जिसके बाद नीम करौली बाबा ने 1955 में यहां राम मंदिर और 1956 से 1957 के बीच हनुमान गढ़ी धाम में शिव जी का मंदिर भी बनवाया. नए साल के मौके पर नैनीताल आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने जरूर आते हैं. यह शहर से करीब दो किलोमीटर दूर हल्द्वानी रोड पर स्थित है.

हनुमान गढ़ी मंदिर के प्रबंधक एमपी सिंह बताते हैं कि जब नीम करौली बाबा ने ट्रेन रोककर अपनी लीला दिखाई थी, उसके बाद महाराज जी यहां आए थे. हनुमान गढ़ी महाराज जी का यहां पहला स्थान है. यह मंदिर शहर से करीब दो किमी की दूरी पर स्थित है. इसके दूसरी तरफ पहाड़ी पर शीतला माता का मंदिर है. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है.

हैड़ाखान बाबा ने की थी भविष्यवाणी

एमपी सिंह बताते हैं कि आज भी कथाओं में यह बात कही जाती है कि हैड़ाखान बाबा जब इस जगह पर अपने शिष्यों के साथ आए थे, तो उन्होंने कहा था कि कोई अंजनी का लाल आएगा जो इस जगह को जागृत करेगा. इससे पूर्व इस जगह पर कब्रिस्तान हुआ करता था. जब भी किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती थी, तो उसे इस स्थान पर दफनाया जाता था. यही वजह थी कि लोग इस जगह पर आने से डरते थे. उन्होंने कहा कि बाबाजी ने जब यहां पर मंदिर स्थापित किया, तो एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया था. कहा जाता है कि उस भंडारे में प्रसाद लेने काफी बच्चों की भीड़ यहां उमड़ी थी और प्रसाद पाने के बाद वो बच्चे गायब हो गए. माना जाता है कि ये बच्चे वही थे, जिन्हें इस स्थान पर दफनाया गया था. बाबा ने अपनी चमत्कारी लीला से इन सभी बच्चों की आत्मा को मुक्ति प्रदान की थी.

सिद्धि मां भी इसी स्थान से जुड़ी थीं

उन्होंने आगे बताया कि नीम करौली बाबा से जुड़े लोग सर्वप्रथम इस स्थान से ही जुड़े थे. कात्यायनी का स्वरूप कही जाने वाली सिद्धि मां भी इसी स्थान से महाराज जी से जुड़ी थीं. मां का पहला कर्म स्थान भी हनुमान गढ़ी था. यहां आज मां का मंदिर स्थित है.

कैसे पहुंचे हनुमान गढ़ी?

यहां तक आप नैनीताल से हल्द्वानी की तरफ किसी भी कैब, टैक्सी या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मदद से पहुंच सकते हैं. आप अपने निजी दोपहिया या चौपहिया वाहन से भी यहां तक आ सकते हैं.