जिनेवा । कोरोना के बाद चीन में फिर से एक नई रहस्मय बीमारी की खबर आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने उत्तरी चीन में निमोनिया के प्रकोप के बारे में बीजिंग से अधिक जानकारी मांगी है। बीमारी से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा, डब्ल्यूएचओ ने सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि और बच्चों में निमोनिया के समूहों की रिपोर्ट पर विस्तृत जानकारी के लिए आधिकारिक अनुरोध किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर पिछले तीन सालों से दिसंबर महीने में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में भारी वृद्धि हुई है, वह भी उस समय जब यहां पर जीरो-कोविड नीति सख्ती से लागू थी। चीन ने जीरो-कोविड नीति को पिछले साल दिसंबर में समाप्त कर दिया था। 
डब्ल्यूएचओ ने बताया, चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सांस संबंधी बीमारियों की घटनाओं में तेजी आई है। इसका प्रमुख कारण रहा है, कोविड-19 को रोकने के उपायों में ढिलाई देना।  रिपोर्ट के अनुसार, कोविड की रोकथाम में ढिलाई देने की वजह से न केवल कोविड से संबंधित बीमारियों में इजाफा हुआ बल्कि इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया (एक सामान्य जीवाणु संक्रमण जो आम तौर पर छोटे बच्चों को प्रभावित करता है), और श्वसन सिंकाइटियल वायरस जैसी बीमारियों में भी इजाफा हुआ है। 
एक ऑनलाइन चिकित्सा समुदाय प्रो-मेड, जिसने 2019 में वुहान में फैल रही एक बीमारी की पहचान की थी। बाद में  इस कोविड-19 के रूप में पहचाना गया। इसी समूह ने फिर से उत्तरी चीन से आ रही अज्ञात निमोनिया मीडिया रिपोर्टों की बढ़ती संख्या ध्यान खींचा। मीडिया रिपोर्ट ने बताया कि बीजिंग, लियाओनिंग और उत्तर के अन्य स्थानों पर चाइल्ड हॉस्पिटल्स बीमार बच्चों से भरे पड़े थे, जबकि कुछ रिपोर्ट में बताया गया कि निमोनिया से बीमार बच्चों के माता-पिता ने अधिकारियों पर महामारी को छुपाने का आरोप लगाया है। प्रोमेड ने बताया कि संबंधित बीमारी के बारे में चीन को निश्चित रूप से जानकारी जरूरी थी, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने वर्तमान स्थिति का अधिक ब्यौरा मांगा है।
मालूम हो कि 2019 के अंत में आए कोविड-19 महामारी को पहले एक अज्ञात निमोनिया के रूप में लेबल दिया गया था। बीमारी का आनुवंशिक कोड को इससे पहली मृत्यु के बाद जनवरी 2020 में सार्वजनिक किया गया था। डब्ल्यूएचओ मार्च 2020 में कोविड वायरस के तेजी से प्रसार और बीजिंग की निष्क्रियता पर चिंतित हो गया था। परिणामस्वरूप मार्च 2020 में एक महामारी की घोषणा की गई।