बात जब भी कभी टापुओं की आती है, तो दिमाग में सबसे पहले समुंदर की लहरों के बीच हरियाली से भरे स्थान की तस्वीर सामने आ जाती है। हालांकि, विविधताओं से भरे हमारे देश में ऐसी-ऐसी जगहें हैं, जहां के बारे में अब तक तमाम लोगों ने सुना भी नहीं होगा। ऐसी ही एक जगह है राजस्थान का बांसवाड़ा जिला, जिसे ‘राजस्थान के चेरापूंजी’ यानी प्रदेश के सबसे ज्यादा बारिश वाले स्थान के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा इस जिले की खूबी यहां बहने वाली माही नदी है, जिसमें 100 से ज्यादा टापू बने हुए हैं और इन्हें 'चाचा कोटा' कहा जाता है।

माइक्रोब्लॉगिंग मंच, कू ऐप पर राजस्थान टूरिज्म ने अपनी एक वीडियो पोस्ट में इस बेहतरीन जगह की जानकारी दी है। राजस्थान पर्यटन विभाग ने अपनी इस कू पोस्ट के कैप्शन में लिखा, “बांसवाड़ा के छिपे हुए रत्न- चाचा कोटा से रूबरू हों। यह एक गांव है, जो अपनी बेजोड़ सुंदरता से मंत्रमुग्ध कर देता है। 100 टापुओं के बीच एक नाव की लुभावनी सवारी पर निकलें और जहां तक ​​नजर जाए वहां तक ​​फैले हुए मनमोहक क्षितिज को देखें। इस जादुई स्थान में पसरी शांति को आपको परेशान नहीं, बल्कि सुकून देगी और आपके यहां के सफर को यादगार बना देगी।  

जैसा कि नाम से ही पता चलता है, बांसवाड़ा का नाम 'बांस' या बांस के पेड़ों के कारण पड़ा था और ये पेड़ एक वक्त पर यहां काफी मात्रा में उगते थे। पहले यह जिला महारावलों के शासन वाली एक रियासत थी और बताया जाता है कि एक भील शासक बांसिया ने इस पर शासन किया था और उसके नाम पर ही इस स्थान का नाम बांसवाड़ा रखा गया था। इसके बाद बांसिया को जगमल सिंह ने पराजित कर मार डाला और फिर इस रियासत का पहला महारावल बना।

बांसवाड़ा के आसपास वाली जगहें

चाचा कोटा
माही नदी पर बने बांध के पानी में बेहतरीन खूबसूरती से भरी एक प्राकृतिक जगह है- चाचा कोटा, जो बांसवाड़ा शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां हरी-भरी पहाड़ियां, समुद्र तट जैसा नजारा और जहां तक नजर जाए 'हर तरफ पानी ही पानी' नजर आता है। आस-पास की ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, रास्ते के चारों तरफ हरा-भरा माहौल, सर्पीली टेढ़ी-मेढ़ी सड़कें और झरने मिलकर इस स्थान को प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से बिल्कुल बेहतरीन बना देते हैं।

माही बांध
माही बजाज सागर बांध को बांसवाड़ा जिले की जीवन रेखा माना जाता है, जो क्षेत्र के कृषि और आर्थिक विकास का एक बड़ा स्रोत बन गया है। 16 दरवाजों वाला माही बांध, राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। बांसवाड़ा शहर से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस बांध के पानी में कई पहाड़ियां आंशिक रूप से डूबी रहती हैं और छोटे टापुओं जैसा मनोरम दृश्य पेश करती हैं। यही कारण है कि इस स्थान को "सौ द्वीपों का शहर" भी कहा जाता है। बारिश के मौसम में यहां जमा अतिरिक्त पानी निकालने के लिए जब मुख्य बांध के दरवाजे खोले जाते हैं तो यह पर्यटकों के लिए एक शानदार स्थान में बदल जाता है। माही बांध वास्तव में बांसवाड़ा में पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण केंद्र है।

श्री त्रिपुर सुंदरी मंदिर
श्री त्रिपुर सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा जिले के मुख्यालय से 19 किमी की दूरी पर है और यह त्रिपुर सुंदरी देवी को समर्पित है। इन्हें माता तीर्तिया के नाम से भी जाना जाता है। माता की भव्य मूर्ति की 18 भुजाएं हैं, जिसमें वह शेर पर सवार विभिन्न शस्त्र धारण किए हुए हैं। मुख्य मूर्ति के चारों ओर 52 भैरव और 64 योगिनियों की छोटी मूर्तियां हैं। यह वागड़ क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पूजा करने आते हैं।

कागदी पिकअप
बांसवाड़ा शहर के पूर्वी हिस्से में कागदी पिकअप पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यहां पर कागदी झील और किनारे बना बगीचा एक बार देखने के बाद नजरें हटाने का मन ही नहीं करता है। विशेषरूप से बरसात के मौसम में, यह झील कई प्रवासी पक्षियों की अठखेलियों का गवाह बनती है। पक्षी प्रेमियों के लिए विशेष रूप से सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सबसे बेहतर रहता है।

सैयदी फखरुद्दीन शहीद स्मारक (गलियाकोट शहर)
गलियाकोट राजस्थान के डूंगरपुर जिले का एक शहर है और यह बांसवाड़ा से करीब 80 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। यह शहर बाबजी मौला सैयदी फखरुद्दीन की कब्र के लिए मशहूर है जो 10वीं शताब्दी में यहां रहते थे। दाऊदी बोहरा समुदाय के लोग हर साल श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पर आते हैं। 

कैसे पहुंचें?

वायु मार्ग: यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर में है, जो 185 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है।

ट्रेन: यहां का निकटतम स्टेशन रतलाम है और यह 80 किलोमीटर दूर है।

सड़क मार्ग: बांसवाड़ा के लिए दिल्ली, जयपुर, भरतपुर और मुंबई से बसें आसानी से उपलब्ध हैं।