मुस्लिम महिलाओं के बीच पैठ बनाने में नाकाम कांग्रेस।

पांच राज्यों के चुनाव में एक बात खासतौर पर देखने को मिल रही है। मुस्लिम वोट बैंक किसी भी विधानसभा में एकमुश्त नहीं जा रहा है। मिजोरम में मतदान हो चुका है। छत्तीसगढ में भी पहले दौर में लोगों ने कई विधानसभा के लिए मतदान किया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलांगाना और छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दलों के लोग अभी भी जनता को अपने पक्ष में करने में लगे हुए हैं। 

हाल ही में सिविल सोसायटी के लोगों की ओर से कराए गए एक आंतरिक सर्वे में यह बात सामने आ रही है। राज्यों की राजधानी के साथ देश की राजधानी दिल्ली में भी इसको लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। लोग परेशान हैं कि कांग्रेस मुस्लिम महिलाओं के बीच अपनी पैठ बनाने में कैसे नाकाम हो गई है। यदि इसी प्रकार का माहौल रहा, तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में कांग्रेस के लिए सत्ता का सपना चकनाचूर हो सकता है। 


कांग्रेस की वोट बैंक में लगा है सेंध 

राजनीतिक विश्लेषक इसे कांग्रेस के लिए खतरा मान रहा है। अपने स्थापना काल से ही कांग्रेस तुष्टिकरण की नीति करती आ रही है। तुष्टिकरण का मकसद मुस्लिम समाज का विकास नहीं, बल्कि एकमुश्त वोट रहा है। ऐसे में सिविल सोसायटी की रिपोर्ट में जब कहा गया मुस्लिम युवाओं का झुकाव तो कांग्रेस की ओर अभी भी बना हुआ है, लेकिन महिलाएं केंद्र सरकार की कई योजनाओं को कारण भाजपा के पक्ष में जाती दिख रही है। खासकर तीन तलाक, उज्ज्वला योजना, सीखो कमाओ योजना, लाडली बहना, लाडली लक्ष्मी योजना सरीखे सरकारी अभियानों से महिलाओं के जीवन में सुधार आया है। तीन तलाक के निर्णय से उत्तर प्रदेश की राजनीति बदल गई। अब डर है कि मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के तमाम तुष्टिकरण के प्रयास के बावजूद यदि महिलाओं के वोटों का विभाजन हुआ, तो इस बार भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से दूर हो जाएगी।