भोपाल । गुजरात के सांवली, बड़ोदरा से भोपाल के लिए मेट्रो कोच रवाना हो चुके हैं। करीब 600 किमी दूरी तय करके 16 सितंबर तक कोच भोपाल पहुंच सकते हैं। कोच 28 पहियों के ट्राले में लाए जा रहे हैं। कोच आते ही उन्हें सुभाषनगर डिपो में अनलोड किया जाएगा। 25 सितंबर के बाद कभी भी मेट्रो का ट्रायल रन कर लिया जाएगा। इसके चलते मेट्रो स्टेशनों पर एस्केलेटर, सिविल वर्क समेत अन्य काम तेजी से किए जा रहे हैं।
भोपाल के एम्स से सुभाषनगर तक बिछाई गई 6.22 किमी ऑरेंज लाइन पर यह कोच दौड़ेंगे। हालांकि, ट्रायल रन सुभाषनगर डिपो से रानी कमलापति स्टेशन के बीच ही होगा। मई-जून 2024 में आम लोग मेट्रो में सफर कर सकेंगे। इंदौर में मेट्रो कोच 31 अगस्त को पहुंच चुके हैं। अब वहां ट्रायल रन की प्रोसेस चल रही है। मेट्रो कॉर्पोरेशन के अफसरों का कहना है कि हर कोच की चौड़ाई 2.9 मीटर और लंबाई 22 मीटर है। भोपाल आने पर कोच का पूजा-अर्चना कर ट्रैक पर लाया जाएगा। इस वजह से सुभाषनगर मेट्रो डिपो में प्लेटफार्म से जुड़ी तैयारियां पूरी कर ली गई है। बड़ोदरा से चलकर कोच यही पर आएंगे। भोपाल और इंदौर के मेट्रो प्रोजेक्ट पर 14 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है।
मेट्रो के कोच भोपाल आने के बाद उसे सुभाषनगर डिपो में बने अनलोडिंग-वे पर अनलोड किया जाएगा। डिपो 80 एकड़ जमीन पर बन रहा है। यही से मेट्रो ट्रेनों का संचालन होगा। ट्रेनों का नाइट हॉल्ट भी यही पर होगा। प्रायोरिटी कॉरिडोर में कुल आठ स्टेशन हैं। इनमें एम्स हॉस्पिटल, अलकापुरी, डीआरएम ऑफिस, आरकेएमपी स्टेशन, सरगम टॉकीज, डीबी मॉल, केंद्रीय स्कूल और सुभाषनगर स्टेशन शामिल हैं। ट्रायल रन करीब साढ़े तीन किलोमीटर में सुभाषनगर स्टेशन से आरकेएमपी स्टेशन तक किया जाएगा। ट्रायल से पहले मेट्रो स्टेशनों पर लगे एस्कलेटर, लिफ्टस, स्ट्रक्चर/शेड, ट्रैक, अग्निशमन संबंधित कार्य चल रहे हैं। ट्रायल के लिए सभी जरूरी काम 20 सितंबर तक पूरे किए जाने का टारगेट है।
मेट्रो के ट्रायल रन के बाद दिल्ली से टीम आएगी, जो सेफ्टी ट्रायल एवं अन्य गतिविधियां करेंगी। इसके बाद अगले वर्ष मई-जून 2024 में कमर्शियल/पैसेंजर ऑपरेशन का संचालन किया जाएगा।