भोपाल । कैदियों के लिए पहचाने जाने वाले भोपाल की जिला जेल की सूरत इन दिनों बदली हुई है। इन दिनों यहां एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है। जेल में प्रवेश के सभी गेट बंद हैं। मुख्य गेट पर सख्त पहरा है। बगैर जांच और अनुमति के भीतर प्रवेश संभव नहीं।
दरअसल जिला में बने स्ट्रांग रूम में ईवीएम के रूप में विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले से भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशियों का भविष्य बंद है। स्ट्रांग रूम के गेट पर लगी सील और प्रत्याशियों के भाग्य का ताला 3 दिसंबर को खुलेगा। प्रत्याशियों के समर्थक दिनभर जेल के आसपास घूम-घूमकर चौकसी जरूर करते हैं। ईवीएम की सुरक्षा के लिए स्टेडियम में तेहरी सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई है। प्रवेश द्वारों के आसपास पुलिस का पहरा है। भीतर सशस्त्र पुलिस बल ने कमान थामे रखी है।
इधर राजनीतिक दल हार-जीत का गणित लगाने में जुटे हैं। मतदान केंद्रों के बाहर लगी प्रत्याशियों की किस टेबल पर कितने मतदाता पहुंचे थे इसके आंकड़ों का विश्लेषण जारी है। हालांकि निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं को घर पर ही फोटो युक्त मतदान पर्ची उपलब्ध करा दी जाती है। इसके अलावा पार्टियों के कार्यकर्ता भी मतदान से पहले घर-घर मतदान पर्ची पहुंचा देते हैं। ऐसे में मतदान केंद्र के बाहर लगी टेबल से हवा का रूख पहचानने वाला यह परंपरागत तरीका इस बार काम नहीं कर पा रहा है। इसके आंकड़े प्रत्याशियों की सांसें जरूर उपर-नीचे कर देते हैं।
उधर, कांग्रेस अपने उन सात नेताओं से चुनाव की रिपोर्ट तैयार करा रही है, जिन्होंने जन आक्रोश यात्रा की अगुआई की थी। पार्टी ने सभी नेताओं से कहा है कि वे यात्रा के दौरान जहां-जहां गए थे, वहां से जानकारी प्राप्त करके संगठन को दें। चुनाव की आचार संहिता लागू होने के पहले नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह, कमलेश्वर पटेल और जीतू पटवारी की अगुआई में अलग-अलग अंचल में यात्रा निकाली गई थी। पार्टी ने 15 सितंबर से जन आक्रोश यात्रा निकाली थी। इसमें डा.गोविंद सिंह ग्वालियर-चंबल, अरुण यादव बुंदेलखंड, अजय सिंह और कमलेश्वर पटेल विंध्य और महाकोशल, सुरेश पचौरी ने मध्य भारत, कांतिलाल भूरिया और जीतू पटवारी ने मालवांचल में यात्रा निकाली थी।