सागर ।    जहां पूरे देश में होलिका दहन होता है। वहीं, सागर के देवरी विकास खंड का एक गांव ऐसा भी है, जहां आज तक होली नहीं जली। यह गांव गोपालपुरा फोर लाइन के समीप जंगल में बसा हुआ हथखोय गांव है। इस गांव में मां झारखंडन माता का एक पुराना मंदिर है। माता के प्रकोप के डर के कारण यहां पर कभी होली नहीं जलाई जाती। ग्रामीणों का मानना है कि पहले इस गांव में कभी होली नहीं जली।एक बार ग्रामीणों के मन में विचार आया कि क्यों न सभी गांव में जैसे होली जलती है, उसी तरह अपने गांव में भी होली जलाई जाय। तब ग्रामीणों द्वारा होली जलाने की तैयारी की गई। होली की तैयारी होते ही पूरे गांव में अपने आप अचानक बिना आग लगाए आग लग गई। तब ग्रामीणों ने गांव के समीप बने मां झारखंडी के मंदिर में अनुनय-विनय की तब जाकर आग बुझी और माता ने ग्रामीणों को स्वप्न देकर कहा, जब इस गांव में मैं झारखंडन खुद विराजमान हूं तो होली जलाने की क्या आवश्यकता है। जब तक मैं हूं, तब तक इस गांव में कुछ भी नुकसान नहीं होगा। तब से यहां होली जलाने की प्रथा बंद है। गांव के निवासी सुखराम ठाकुर 45 वर्ष एवं गोपाल ठाकुर 65 वर्ष एवं गांवों के उपसरपंच कोमल ठाकुर 40 वर्ष सहित करीब एक दर्जन ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में सदियों से होली नहीं जली। इसके पीछे हथखोय गांव में विराजमान मां झारखंडन का प्रताप है और हमारे गांव में न ही कभी होली जली और न ही कभी गांव हांका गया या बांधा गया। यहां माता के प्रभाव से गांव में होली नहीं जलाई जाती। ऐसी मान्यता है कि यहां चैत्र की नवरात्रि में मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं। मां झारखंडन कई परिवारों की कुलदेवी भी हैं। यहां मन्नत मांगने पर होने बाले बच्चों का मुंडन भी लोग कराने एवं पिकनिक मनाने के लिए बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं।