भोपाल । ग्वालियर व मुरैना लोकसभा सीट को कांग्रेस ने फिलहाल होल्ड पर रखा है। दोनों ही सीटों पर उम्मीदवारी घोषित होने थे। एन वक्त पर मामला दो दिन के लिए टल गया दोनों सीटों पर होल्ड का कारण जातीय समीकरण बताये जा रहे हैं।
अंचल की चार सीटों में से एक पिछड़े वर्ग के खाते में, दूसरी अनुसूचित वर्ग के खाते में चली गई है। कांग्रेस ग्वालियर-मुरैना में ब्राह्मण-क्षत्रिय गणित में उलझी हुई है। अगर ग्वालियर से किसी ब्राह्मण नेता को टिकट मिलता है तो मुरैना का टिकट क्षत्रियों के खाते में जाएगा। यह तय है कि ग्वालियर सीट से ब्राह्मण व मुरैना से क्षत्रिय को चुनाव लडऩा तय माना जा रहा है।
कार्यकर्ताओं ने जाहिर की बेचैनी
यह दोनों टिकटों को होल्ड पर रखे जाने के कारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढ़ रही है। अंचल से कांग्रेस को काफी उम्मीदें- 2018 व 2023 के विधानसभा नतीजों से कांग्रेस को ग्वालियर-चंबल अंचल से काफी उम्मीदें हैं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को कांग्रेसी मोदी लहर मान रहे हैं। क्योंकि अंचल की चारों सीटें भाजपा खाते में चली गई थीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में चार में से एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। यही कारण है ग्वालियर-चंबल अंचल की दो सीटों पर उम्मीदवारी तय करने में कांग्रेस हाइकमान का वक्त लग रहा है। कांग्रेस ने भिंड सीट से फूल सिंह बरैया की उम्मीदवारी पहली सूची में घोषित कर दी और तीसरी सूची में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने भाजपा मूल के पूर्व विधायक राव देशराज यादव के पुत्र राव यादवेंद्र सिंह को मैदान में उतार दिया है।
ब्राह्मण और क्षत्रिय में असमंजस
दोनों सीटों पर मुकाबला रोचक होने की संभावना जताई जा रही है। ब्राह्मण व क्षत्रिय के गणित में उलझी कांग्रेस- कांग्रेस ग्वालियर व मुरैना सीट पर ब्राह्मण व क्षत्रिय के गणित में उलझी हुई है। मुरैना में सुमावली से पूर्व विधायक की दावेदारी को मजबूत माना जा रहा है। क्योंकि उनके लिए उनके बड़े भाई मजबूती के साथ पैरवी कर रहे हैं। इस परिवार ने उपचुनाव के साथ 2023 के विधानसभा चुनाव सीट जीतकर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा है। दूसरा पांच दशकों के बाद महापौर की सीट भी जीतकर कांग्रेस की झोली में डाली है। मुरैना से दूसरी दावेदारी ब्राह्मण समाज से हैं। इसी तरह ग्वालियर से ब्राह्मण समाज के पूर्व विधायक की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। यहां से किसी क्षत्रिय ने अब तक मजबूती के साथ दावेदारी नहीं की है। यह तय माना जा रहा है कि अगर मुरैना से किसी क्षत्रिय को टिकट दिया जाता है, तो ग्वालियर से ब्राह्मण को टिकट दिया जायेगा। फिलहाल कांग्रेस जातीय समीकरणों में उलझी हुई है।दोनों सीटों के दावेदार दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।