नई दिल्ली । भूकंप वैज्ञा‎निक ने चेतावनी दी है ‎कि य‎दि धरती अपने अंदर जमा एनर्जी को ‎रिलीज करती है तो भूकंप आता है। यही वजह है ‎कि नेपाल में बार-बार भूकंप आ रहे हैं। उन्होंने भारत के देहरादून को भी भूकंप का केन्द्र बताकर चेतावनी जारी की है। राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ भूकंप विज्ञानी भरत कोइराला ने बताया कि लंबे समय से धरती के अंदर सक्रिय यूरेशियन प्लेटों के बीच टकराव हो रहा है। कोइराला ने बताया कि पश्चिमी नेपाल के गोरखा (जिला) से लेकर भारत के देहरादून तक टेक्टोनिक हलचल के कारण बहुत सारी एनर्जी जमा हो गई है। भूकंप ही उस एनर्जी को मुक्त करने का एकमात्र तरीका है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में शुक्रवार रात आए 6.4 तीव्रता वाले भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। वहीं, एक भूकंपविज्ञानी का कहना है कि खतरनाक हिमालयी भूकंपीय क्षेत्र पर स्थित नेपाल अत्यधिक भूकंप-संभावित देश है। इसके भूकंप प्रभावित पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्र में बड़े भूकंप का खतरा होने की ज्यादा आशंका है।
एकरिपोर्ट के मुताबिक नेपाल दुनिया का 11वां सबसे अधिक भूकंप झेलने वाला देश है। इसलिए जब शुक्रवार देर रात नेपाल के सुदूर पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्र में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया, तो यह पहला भूकंप नहीं था। आधिकारिक आंकड़ों पर ध्यान दें तो शुक्रवार आधी रात को पश्चिमी नेपाल में आया भूकंप इस साल नेपाल में आए 70 से ज्यादा भूकंपों की लंबी लिस्ट में से एक था। भूकंप का केंद्र काठमांडू से लगभग 500 किमी उत्तर-पश्चिम में जाजरकोट जिले में था, जिससे 2015 के विनाशकारी भूकंप की दर्दनाक यादें ताजा हो गईं। नेपाल के राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ भूकंपविज्ञानी भरत कोइराला ने बताया कि लंबे समय से धरती के अंदर सक्रिय यूरेशियन प्लेटों के बीच टकराव हो रहा है, जिससे जबरदस्त एनर्जी एकत्र हो गई है। 
नेपाल इन 2 प्लेटों के बॉर्डर पर स्थित है और इसलिए अत्यधिक सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, लिहाजा नेपाल में भूकंप आना आम बात है। भूकंप विज्ञानी कोइराला ने बताया कि पश्चिमी नेपाल में भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है। उन्होंने कहा कि पिछले 520 वर्षों से पश्चिमी नेपाल में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। इसलिए बहुत सारी एनर्जी जमा हो गई है भूकंप ही उस एनर्जी को मुक्त करने का एकमात्र तरीका है। कोइराला ने बताया कि पश्चिमी नेपाल के गोरखा (जिला) से लेकर भारत के देहरादून तक टेक्टोनिक हलचल के कारण बहुत सारी एनर्जी जमा हो गई है, इसलिए इस एनर्जी को जारी करने के लिए इन क्षेत्रों में छोटे या बड़े भूकंप आ रहे हैं, जो बेहद सामान्य है।