नई दिल्‍ली । सरकार की पहल पर पात्र कंप‎नियों को अब पीएलआई की रकम जल्द ‎मिलेगी। इसके ‎‎लिए नी‎ति आयोग को नोडल एजें‎‎सियों के कामकाज की समीक्षा करने ‎कि ‎जिम्मेदारी दी जा सकती है। बता दें ‎कि वि​भिन्न क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पात्र कंपनियों को प्रोत्साहन राशि जारी होने में देर पर सरकार सख्त हो गई है। पीएलआई दावों की रकम देने में देर किए जाने पर चिंता जताते हुए कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने नीति आयोग को योजना से जुड़ी नोडल एजेंसियों के कामकाज की समीक्षा करने का सुझाव दिया है। गौबा की अध्यक्षता में सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह की हालिया बैठक में नीति आयोग को सुझाव दिया गया कि पीएलआई योजना से जुड़ी परियोजना प्रबंधन एजेंसियों (पीएमए) के कामकाज की समीक्षा करने के लिए आयोग की अध्यक्षता में एक संस्थागत ढांचा तैयार किया जाए। पीएमए इस योजना के कार्यान्वयन, आवेदनों की जांच, प्रोत्साहन के लिए पात्रता निर्धारण, विनिर्माण इकाइयों के निरीक्षण आदि के लिए संबंधित मंत्रालयों की मदद करने के लिए जिम्मेदार हैं। बैठक में नीति आयोग के मुख्य कार्या​धिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रमण्यन भी मौजूद थे। 
दरअसल परियोजना प्रबंधन एजेंसियों और संबं​धित मंत्रालयों के कामकाज की शुरुआती समीक्षा में पता चला है कि कई प्रमुख क्षेत्रों को भुगतान देर से हो रहा है। बैठक के ब्योरे में भी कहा गया है ‎कि कई मामलों में प्रोत्साहन के दावे निपटाने में काफी देर हो रही है। इसके अलावा परियोजना प्रबंधन एजेंसियों ने पर्याप्त संख्या में विषय विशेषज्ञ भी नियुक्त नहीं किए हैं, जबकि पिछली बैठक में इसका निर्देश दिया गया था।’
कुछ मामलों में शुरुआती निवेश की अवधि इस साल समाप्त हो रही है और दावा अगले वित्त वर्ष में ही किया जा सकेगा। बैठक में अधिकार प्राप्त समूह ने लाभार्थी कंपनियों के पीएलआई भुगतान दावे निपटाने की प्रक्रिया के लिए एक सामान्य व्यवस्था की जरूरत बताई। उसमें कहा गया है कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) संबंधित मंत्रालयों या विभागों से विचार-विमर्श कर हरेक पीएलआई योजना दिशानिर्देश को जांच सकता है।  
सरकार ने नी‎ति आयोग को परियोजना प्रबंधन एजेंसियों की नियमित समीक्षा करने को भी कहा गया है ताकि नियमों का अनुपालन आसानी से हो। पीएलआई योजना के दायरे में फिलहाल मोबाइल फोन, ड्रोन, दूरसंचार, कपड़ा, वाहन, कंज्यूमर ड्यूरेबल, फार्मास्यूटिकल्स समेत 14 क्षेत्र हैं। इन्हें 5 परियोजना प्रबंधन एजेंसियां भारतीय औद्योगिक वित्त निगम, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, मेटालर्जिकल ऐंड इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स (इंडिया), भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्‍था लिमिटेड और सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन देख रही हैं।