बिलासपुर। हाईकोर्ट ने दवा दुकानों में नशे की सामग्री बिकने पर कड़ाई की जरूरत बताई है। एक मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर निरस्त करने के लिए दायर याचिका पर किसी तरह का आदेश देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इसे मैटर आफ एविडेंस मानते हुए कहा कि ड्रग माफिया देश को बरबाद कर रहा है। नशीली दवाओं का समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। युवा काफी इसकी चपेट में हैं।
महासमुंद में पुलिस ने एक दवा दुकान संचालक के खिलाफ प्रतिबंधित इंजेक्शन और दवा भारी मात्रा में रखने तथा डाक्टर की पर्ची के बिना दवा बेचने के मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। दुकान संचालक ने दर्ज अपराध को निरस्त करने के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इसे मैटर आफ एविडेंस मानते हुए किसी तरह का आदेश देने से इंकार कर दिया, इस पर याचिकाकर्ता ने केस वापस ले लिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि एक दुकान में 1470 नग इंजेक्शन रखना संदिग्ध लगता है। इतना तो गोदाम या फिर बड़े अस्पतालों में भी नहीं होता होगा। उल्लेखनीय है कि 4 दिसम्बर 2022 को महासमुंद पुलिस ने बसना क्षेत्र में संचालित राजेश मेडिकल स्टोर में छापा मारा था। दुकान संचालक राजेश साहू के सामने ही तलाशी ली गई तो दुकान में रखे एक बड़े बॉक्स में इस्टाक्लों इंजेक्शन 1470 नग, ट्राईकेयर इंजेक्शन 100 एमजी, 75 नग, ट्रामाडोल इंजेक्शन 10 एमजी. 59 नग कीमती 1532 रुपए, ट्रामाडोल पेरासिटामोल टेबलेट 647 नग, अल्वारी अल्फाजोरम टेबलेट 250 नग, डोमाडाल प्लस टेबलेट 70 नग, एक नग मोबाइल 15000 रुपए तथा नगदी रकम 5000 रुपए समेत कुल 51 हजार 855 रुपए के सामान की जब्ती की गई थी।