डब्ल्यूटीसी फाइनल में मिली हार के लिए कहीं न कहीं मुख्य कोच राहुल द्रविड़ की रणनीति भी जिम्मेदार है। अभ्यास सत्र में ऐसा कम ही देखा जाता है कि द्रविड़, विराट को किसी तकनीक के बारे में बताते हों। विराट बड़े बल्लेबाज हैं, लेकिन अगर इस उम्र के इस पड़ाव में ड्राइव खेलकर आउट हो रहे हैं, तो बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर और द्रविड़ की जिम्मेदारी बनती है।

टेस्ट कप्तान को लेकर चिंता-

द्रविड़ के रहते हुए अगर रोहित के पैर क्रीज से नहीं हिल रहे तो कोच को सोचना होगा कि आगे क्या करना है? रविचंद्रन अश्विन की जगह उमेश यादव को खिलाने का निर्णय, मैच अप्स और आंकड़ों पर ज्यादा निर्भर रहना द्रविड़ की कमजोरी बनती जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि आईपीएल और इतने सारे मैच होने के बावजूद अगर आपसे पूछा जाए कि भविष्य का टेस्ट कप्तान कौन है तो पूरा बीसीसीआई आगे पीछे झांकता नजर आएगा।

द्रविड़ का कॉन्ट्रैक्ट-

इस साल के बाद द्रविड़ शायद ही कोच के तौर पर दिखें, लेकिन वह भारत को क्या देकर जाएंगे ये उन्हें सोचना होगा। शायद वह खुद ही कॉन्ट्रैक्ट का विस्तार करना नहीं चाहेंगे। क्योंकि अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाने की कसक उनके चेहरे पर झलकने लगी है।

भारतीय खिलाड़ियों पर जुर्माना-

भारतीय खिलाड़ियों पर डब्ल्यूटीसी फाइनल में धीमी ओवर गति के लिए पूरी मैच फीस का जुर्माना लगाया गया है जबकि विवादित फैसले पर आउट देने के लिए अंपायर के फैसले की आलोचना करने वाले शुभमन गिल पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना लगा है।

एक टेस्ट की फीस-

वहीं, ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर भी धीमी ओवर गति के लिए मैच फीस का 80 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया है। अंतिम प्लेइंग इलेवन में शामिल भारतीय खिलाड़ियों को एक टेस्ट मैच के लिए 15 लाख रुपये और रिजर्व खिलाड़ियों को 7.5 लाख रुपये मिलते हैं।