हम सभी अच्छी तरह जानते है, कि हर महीने में एक शिवरात्रि जरूर आती है. इसी प्रकार एक वर्ष में 12 मासिक शिवरात्रि होती है. लेकिन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर बताया गया है विस्तार से जानते है. ज्योतिषाचार्य पं पंकज पाठक ने कहा कि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है. पर फाल्गुन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. शिव पुराण में ऐसी कई महत्वपूर्ण तिथियों का वर्णन है. जिनपर, भगवान शिव की पूजा की जाती है. इसके साथ ही व्रत रखा जाता है. भगवान शिव को बाकी देवताओं से जल्दी प्रसन्न होते है. भगवान शिव मात्र एक लोटा जल श्रद्धा पूर्वक चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते है. यही कारण है कि भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है. भगवान शिव के लिए सोमवार, सावन का महीना, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि एवं महाशिवरात्रि के व्रत रखें जाते है. फिर भी शिवरात्रि एवं महाशिवरात्रि में कुछ लोगों को संशय रहता है. तो आईए जानते है इनका अंतर.

ज्योतिषाचार्य के अनुसार फाल्गुन माह में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. सभी शिवरात्रियों में इसका महत्व सबसे ज्यादा होता है. इस शिवरात्रि को महाशिवरात्रि इसलिए कहा गया है. क्योंकि, इस दिन भगवान शिव ने वैराग्य त्यागकर देवी पार्वती से विवाह किया था. महाशिवरात्रि के दिन शिव जी के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. हर वर्ष भगवान शिव के भक्त महाशिवरात्रि के दिन को श्रद्धाभाव एवं पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

इस वर्ष महाशिवरात्रि
भगवान शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. इस दिन उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है. इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च को रखा जाएगा. पंडित पंकज पाठक के अनुसार पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च को संध्याकाल 09:57 मिनट पर होगी. फिर इसका समापन अगले दिन यानी 9 मार्च को संध्याकाल 06:17 मिनट पर होगा.

पूजन का शुभ मुहूर्त
भगवान शिव की पूजन महाशिवरात्रि यानी 8 मार्च के दिन शाम को 06:25 मिनिट से 09:28 मिनिट तक रहेगा.