आंबुआ ।   मावठे की बारिश के कारण खेतों में तैयार खड़ी कपास की फसल भीग जाने से खराब हो गई। अब कपास की बिनाई की जा रही है। यह कपास भीग जाने के कारण पीला पड़ गया है, इससे भाव और कम हो गए हैं। कपास अब 50-60 रुपये किलो से भी कम भाव में बिक रहा है। व्यापारी भी खरीदकर सुखाने में लगे हैं। सूखने के बाद वजन कम हो जाने से व्यापारियों को भी हानि हो रही है। बता दे कि खरीफ की फसल कपास इस बार खेतों में अपनी सफेदी बिखेर रही थी। कुछ कृषकों ने कपास की बिनाई कर ली तो कुछ यह कार्य कर रहे थे। बाजार में कपास के भाव गत वर्ष की तुलना में 15-20 रुपये किलो कम आ रहे थे, जिसके कारण किसान कपास बेचने से कतरा रहे थे। पिछले साल 75-80 रुपये प्रति किलो दाम थे, जबकि इस वर्ष 60-65 रुपये किलो से कपास बिक रहा था। वहीं अब मावठे की बारिश ने समस्‍या को और बढ़ा दिया है। कपास के थोक क्रेता रामचंद्र माहेश्वरी ने बताया कि मावठे के कारण कपास खराब हो गया है। साथ ही कपास पीला पड़ने से भाव और कम हो गए हैं। बोरझाड़ के किसान लोकेंद्रसिंह राठौर ने बताया कि इस बार मावठे ने कपास की रंगत बिगाड़ दी है। पूर्व से भाव कम थे अब और कम होने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। ढेकालकुआं के कृषक व सरपंच विक्रमसिंह रावत ने बताया कि कपास की फसल बहुत अच्छी आ रही थी, मगर मावठे ने सब चौपट कर दिया। अब भाव काम मिल रहे हैं।

बादलों से फसलों पर इल्लियों का खतरा

इधर, रबी सीजन में 95 फीसद बोवनी हो चुकी है। कृषि विभाग के अनुसार इस साल रबी सीजन में 78 हेक्टेयर बोवनी का लक्ष्य था। अब तक 75 हेक्टेयर से अधिक में किसान फसल बो चुके हैं। मावठे और बादलों की मौजूदगी से फसलों पर इल्लियों का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि गेहूं को वर्षा और नमी से लाभ पहुंच रहा है।

जिले में पिछले साल की तरह इस बारिश भी सबसे अधिक गेहूं की फसल बोई गई है। 35 हेक्टेयर से अधिक में गेहूं बोया गया है। बेहतर बारिश के चलते इस बार सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी उपलब्ध है। मावठे की वर्षा और नमी से गेहूं की फसल को लाभ मिल रहा है। उधर, धूप न खिलने से अन्य फसलों में इल्लियों का खतरा बना हुआ है। इससे किसान चिंता में हैं। कृषि विज्ञानी डा. आरके यादव ने बताया कि किसानों को प्रोफेनोफास साईपरमैथरीन दवा 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है। इससे इल्लियों का खतरा नहीं रहेगा। डा. यादव ने बताया कि मावठे की वर्षा से गेहूं की फसल को फायदा होगा। जिले में रबी सीजन में किसान सबसे ज्यादा गेहूं की बोवनी करते हैं।