महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध मध्यप्रदेश में बहनें चहुंओर तरक्की कर रही हैं। महिला उद्यमिता से लेकर, आवास योजना हो या फिर शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देना प्रदेश सरकार की शुरूआती योजनाओं ने महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए एक खुला आसमान दिया है। जिसका असर अब परिणाम के रूप में सामने आने लगा है। प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के कारण बहनें आर्थिक रूप से स्वावलंब हुई और स्थानीय निकाय चुनावों में स्वयं सहायता समूहों की 17 हजार महिलाओं ने चुनाव जीता। महिला के नाम संपत्ति होने पर पंजीयन शुल्क घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया, जिससे महिलाओं को घर में बराबरी का दर्जा मिला। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मध्यप्रदेश के एमवाई का नारा दिया गया, जिसका सीधा आश्य महिला योजना से है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शुरू की गईं महिला विकास एवं सशक्तिकरण की योजनओं से बहनें आत्मनिर्भर हो रही हैं। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए राज्य की सरकार शुरू से इस बात की पैरोकार रही है कि महिलाओं को कारोबार शुरू करने के लिए हर संभव अनुकूल परिस्थतियां दी जाएं। इसके लिए सहकार के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया। मध्यप्रदेश में 4 लाख 78 हजार स्वयं सहायता समूहों से 57 लाख परिवारों को जोड़ा गया। अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए इच्छुक पांच लाख स्वयं सहायता समूहों को 6083 करोड़ का क्रेडिट लिंकेज दिलाया गया। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एक अप्रैल 2007 में लाडली लक्ष्मी योजना की शुरूआत की गई, योजना के माध्यम से अब तक 13 लाख 30 हजार बेटियों को 366 करोड़ रुपए से ज्यादा की छात्रवृति दी जा चुकी है। योजनाआें को शुरू करने और संचालित करने में धन की कमी को आड़े नहीं आए इसके लिए सबसे पहले महिला एवं बाल विकास के वार्षिक बजट को बढ़ाया गया। वर्ष 2003 से पहले विभाग का वार्षिक बजट मात्र 262.60 करोड़ रुपए था, जिसे बढ़ाकर 14,688 करोड़ रुपए कर दिया गया। बाल विवाह कम होने और बीच में पढ़ाई छोड़ने वाली बेटियों की संख्या बढ़ोत्तरी हुई, बेटियों को आगे बढ़ने की राह दिखी तो उत्साह दोगुना हुआ। 12वीं कक्षा में पास टॉप करने वाली बेटियों को प्रदेश सरकार द्वारा ई स्कूटी दी जा रही है। प्रदेश में बेटियों को प्राथमिक शिक्षा से लेकर व्यवसाय में भी आगे बढ़ाने के लिए सरकार सहयोग कर रही है। जिससे बहनों का भविष्य उज्जवल हो रहा है।