नई दिल्ली । इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार नई नीति लाने की तैयारी में है। यदि ऐसा होता है तो फास्टर एडॉप्‍शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल 3 (फेम-3) जल्द ही आ सकती है। ये प्रोडक्‍शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम से अलग आएगी।  विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में दस्तक देना चाहती हैं, ऐसे में सरकार नई नीति तैयार करने में लगी है। 
गौरतलब है कि फेम- 2 के चलते 2023 में ईवी की कुल बिक्री में एक साल के अंदर ही 50 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है। 2021 में ऑटोमोबाइल की कुल बिक्री मे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री केवल 1.02 प्रतिशत थी जो साल 2023 में बढ़कर 6.83 प्रतिशत हो गई। अब सरकार आने वाले 6 साल के अंदर इसको बढ़ा कर 30 प्रतिशत तक करना चाहती है। टेस्ला जैसी इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इंडिया में निवेश करने के लिए लंबे समय से हाथ पैर मार रही हैं। 
सूत्रों के अनुसार ऐसी कंपनियों को अलग से कोई लाभ देने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। उनको भी वैसे ही लाभ दिए जाएंगे जैसे घरेलू कंपनियों को दिए जाएंगे। दरअसल टेस्ला इंडिया में पहले एक निश्चित संख्या में कार आयात कर बेचना चाहती है और इसके करीब दो साल बाद वो यहां पर अपनी मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने का प्लान कर रही है और सरकार से ईवी की इंपोर्ट ड्यूटी पर भारी छूट चाहती है। लेकिन सरकार के सूत्रों के अनुसार नई नीति में टेस्ला को ऐसी कोई छूट नहीं दी जाएगी। ये नीति सभी के लिए एक समान होगी। सरकार ईवी बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए फाइनेंशियल ईचर 2024-25 में फेम 3 शुरू कर सकती है।
 गौरतलब है कि फेम 2 की अवधि मार्च में खत्म होने जा रही है। इसके बाद इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद पर सरकार की ओर से मिलेने वाली सब्सिडी खत्म की जा सकती है। सरकार का मानना है कि घरेलू कंपनियों पर नई नीति से किसी भी प्रकार का गलत प्रभाव नहीं पड़े इसको देखते हुए काम किया जा रहा है और देश को एक ईवी मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर स्‍थापति किया जा सके।