भोपाल ।    मध्य प्रदेश भाजपा में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे विधायक पहली बार दुविधा की स्थिति में हैं, भाजपा ने प्रत्याशियों की अपनी तीन सूची में जिस तरह चौंकाया है, उससे विधायक सकते में हैं। चुनावी तैयारी के बजाए भोपाल से लेकर दिल्ली तक ये विधायक गणेश परिक्रमा कर रहे हैं लेकिन उन्हें कोई भी बड़ा नेता टिकट के मुद्दे पर आश्वस्त नहीं कर पा रहा।

टिकट बांटने वाले केंद्रीय नेताओं को भी उतार द‍िया

दरअसल, भाजपा ने टिकट बांटने वाले केंद्रीय नेताओं को भी विधानसभा चुनाव में उतार दिया है। इस कारण सभी दिग्गज नेता यही कह रहे हैं कि उनके हाथ में कुछ नहीं है। इसलिए दावेदार नेताओं को यह समझ में नहीं आ रहा कि टिकट की गारंटी उन्हें कहीं से मिलने वाली नहीं है। इधर विधायकों की टिकट काटे जाने की खबर से हर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के कई दावेदार खड़े हो गए हैं।

जाओ तैयारी करो, कहने वाला कोई नहीं

भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश में कई पावरसेंटर हैं ,जो अब तक टिकट के दावेदारों को आश्वस्त कर देते थे कि जाओ तैयारी करो । पर मौजूदा चुनाव में पार्टी के ज्यादातर विधायक भी असमंजस में हैं कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं। इसकी वजह ये है कि पार्टी द्वारा बार-बार सभी विधायकों को सर्वे का हवाला देकर कहा जा रहा है कि उनका परफारमेंस कमजोर है।

पार्टी ने साफ कर दिया

पार्टी ने यह भी साफ कर दिया है कि टिकट केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिनका नाम केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा कराए गए सर्वे मेंं शामिल होगा। अब तक के चुनाव में मुख्यमंत्री श‍िवराज सिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा में भी कई बार विधायक और दावेदारों को इशारों में बता दिया जाता था कि उनका टिकट पक्का है ,चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहें। पर इस चुनाव में हालात अलग हैं।

दिग्गज नेता भी टाल रहे दावेदारों को

टिकट के बंटवारे में महत्वपूर्ण भूमिका वाले मप्र के ज्यादातर नेता भी इन दिनों मौन धारण किए हुए हैं। इसकी अलग-अलग वजह हैं। पहली वजह तो यह है कि पार्टी ने टिकट बांटने वालों को ही विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बना दिया है। आमतौर पर यही लोग टिकट बांटा करते थे।

पहले ही आश्‍वस्‍त कर देते थे

अब तक के चुनावों में मुख्यमंत्री, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ,संगठन महामंत्री और प्रदेश प्रभारी स्तर के नेता अपने समर्थकों को चुनाव से पहले ही आश्वस्त कर दिया करते थे कि वे जाकर मैदान संभाले ,यहां से उन्हें हरीझंडी है। यही नेता प्रदेश चुनाव समिति के भी सदस्य होते हैं इस कारण दावेदारों को उम्मीद रहती है कि उन्हें टिकट दिलाने में ये मदद करेंगे। अब स्थिति विपरीत है। टिकट का फैसला भी प्रदेश चुनाव समिति के बजाए केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा किया जा रहा है।

एक सीट पर कई दावेदार

पिछले अठारह सालों से सत्ता पर काबिज होने के कारण भाजपा में एक सीट पर टिकट के कई दावेदार तैयार हो गए हैं। पूर्व विधायक ,पूर्व सांसद,नगरपालिका अध्यक्ष,मंडल अध्यक्ष ,जनपद अध्यक्ष ,मंडी अध्यक्ष ,भाजयुमो अध्यक्ष, महिला मोर्चा अध्यक्ष ,किसान मोर्चा के अध्यक्ष सहित कई नेता टिकट पाने की कतार में खड़े हैं।

फैसला केंंदीय चुनाव समिति ही करेगी

भाजपा में प्रत्शाशी चयन का अधिकार संवैधानिक रूप से केंद्रीय चुनाव समिति को है। वह लगातार निर्णय कर रही है, जिसमें 79 प्रत्याशी घोषित हो भी चुके हैं। टिकट हर चुनाव में नए सिरे से विचार करके ही दिए जाते हैं इसलिए हर सीट पर विचार करके केंद्रीय चुनाव समिति निर्णय करती है। नेतृत्व के पास विभिन्न स्रोतों से आए फीडबैक हैं ।

रजनीश अग्रवाल प्रदेश मंत्री, भाजपा मप्र