नई दिल्ली । राज्यसभा में सीईसी, ईसी की नियुक्तियों, सेवा शर्तों को विनियमित करने वाला विधेयक 12 दिसंबर को ध्वनिमत से पास हुआ। विपक्ष ने कहा था कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने लाया गया है। इस बिल से चुनाव आयुक्तों का महत्व कम होगा। बिल के विरोध में सभी विपक्षी सांसद वॉक आउट कर गए। 
उधर, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ईसीएस) से नियुक्ति से जुड़ा बिल राज्यसभा से पास हुआ है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने यह बिल पेश किया था। इस चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कामकाज का संचालन) अधिनियम, 1991 की जगह लाया गया है।
बिल को पारित करवाने के दौरान केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि नया कानून जरूरी हो गया है क्योंकि पहले के कानून में कुछ कमजोरियां थीं। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया कि यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने के लिए लाया गया है।
इससे पहले, बिल इस साल 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया गया था। तब यह सामने आया था कि ईसीएस की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और कैबिनेट मंत्री वाला पैनल करेगा। पैनल में चीफ जस्टिस की जगह कैबिनेट मंत्री को लाने पर जमकर विवाद हुआ था।
हालांकि, विवाद और बहस के बाद बिल राज्यसभा से पास हो गया। 26 सांसदों ने बहस में हिस्सा लिया। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि केंद्र सुप्रीम कोर्ट के 2 मार्च के आदेश को पलटने का प्रयास कर रहा है।