भोपाल । भोपाल नगर निगम आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं, कि वेतन और ठेकेदारों को भुगतान करने के लिए नगर निगम के पास पैसे नहीं है। भारी बिजली बिल हर माह नगर निगम को परेशान करते हैं। नगर निगम भोपाल के ऊपर हुडको का लगभग 500 करोड रुपए, एडीबी का 123 करोड़ तथा अमृत प्रोजेक्ट के बांड का 175 करोड़ रूपया का कर्ज है। नगर निगम भोपाल को 60 करोड रुपए से ज्यादा ठेकेदारों का भुगतान करना है। नगर निगम ने जिन कार्यों के भूमि पूजन कर दिए हैं। वहां पर काम ही नहीं शुरू हो पा रहा है।
2017 से पहले जनसंख्या के आधार पर चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि सरकार देती थी। 2017 के बाद से यह राशि नहीं बढ़ाई गई है। जिससे नगर निगम का वेतन और बिजली खर्च निकल जाता था। अभी नगर निगम को मात्र 24 करोड रुपए प्रति माह है। वह चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में मिल रहे हैं। नगर निगम भोपाल के ऊपर वेतन और पेंशन का खर्च 32 करोड रुपए प्रति माह है। राज्य सरकार 24 करोड रुपए में से 10 करोड रुपए पुराने बिजली बिल का काट लेती है।नगर निगम भोपाल को 14 करोड रुपए ही प्रतिमाह मिलते हैं।जिसके कारण कर्मचारियों का वेतन देना भी मुश्किल हो जाता है।
 नगर निगम भोपाल प्रतिवर्ष पेयजल की आपूर्ति में लगभग 140 करोड रुपए खर्च करती है। लेकिन जल करके रूप में नगर निगम भोपाल नगर निगम को मात्र 60 करोड रुपए ही मिल पाते हैं। नगर निगम भोपाल को मुद्रांक शुल्क से केवल 40 से 45 करोड रुपए ही प्रतिवर्ष की वसूली हो पाती है। कुल मिलाकर कर्ज की किस्त चुकाना और खर्च चलाना नगर निगम के लिए भारी पड़ रहा है। चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि यदि नहीं बढ़ाई गई, तो कभी भी नगर निगम कंगाल होने की स्थिति में आ सकती है। पिछले वर्षों में नागरिकों के ऊपर इतने किस्म के टैक्स लगा दिए गए हैं। अब नागरिक भी कराहने लगे हैं।
भोपाल नगर निगम टैक्स वसूली में केवल गरीबों और मध्यम वर्गी परिवारों पर ही अपना रुतबा दिखा पाती है। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनी हुई है।बड़े-बड़े मॉल, बड़े-बड़े होटल एवं अन्य हजारों की संख्या में निर्माण हैं। महंगे स्कूल और कॉलेज हैं।
इनसे टेक्स की वसूली नगर निगम की बहुत कम होती है। टैक्स का सही निर्धारण भी नहीं किया जाता है।मध्यम वर्ग और गरीबों से बड़ी बेरहमी से टैक्स वसूल किया जाता है। इसके लिए कुर्की वारंट निकल दिए जाते हैं। प्रॉपर्टी नीलाम कर दी जाती है। यह सब गरीबों और मध्यम वर्ग की परिवारों के लिए कानून लागू होता है। सरचार्ज ब्याज और जुर्माना लगाया जाता है।बड़े लोगों से टैक्स की वसूली नहीं होना भी समस्या की सबसे बड़ी जड़ है। समरथ को नहीं दोष गुसाई की तर्ज पर नगर निगम के अधिकारी समर्थओं के सामने बौने साबित हो जाते है।