पितरों के आशीर्वाद से परिवार और घर फलता-फूलता है लेकिन अगर पूर्वज नाराज हो तो कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का दर्द झेलना पड़ता है. कुंडली में पितृ दोष होने पर व्यक्ति को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कई बार बनते-बनते काम भी बिगड़ जाते हैं. बिजनेस से लेकर नौकरी तक में हानि होने लगती है. ज्यादातर लोगों को पितृदोष के चलते जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जब किसी का पिता से बार-बार कलेश हो रहा हो, एक ही घर में रहते हुए न बन रही हो, व्यक्ति को संतान सुख न मिल रहा हो, इसके अलावा उसके पिता कष्ट में हों, तो ये संकेत पितृदोष से जुड़े हो सकते हैं.

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रहने वाले पंडित संजय मित्तल बताते हैं कि पितृ दोष के कारण आमतौर पर व्यक्ति परेशानियों से घिर जाता है. निवारण के लिए उसे समस्या का पता होना जरूरी है. भगवान श्रीराम की कुंडली में भी पितृदोष था, यही वजह थी कि वह और उनके पिता राजा दशरथ एक साथ एक ही छत के नीचे नहीं रह पाए. यह पहला संकेत है. वहीं जब व्यक्ति शादी के बाद पिता बनने के सुख से वंचित रहता है, यह भी पितृदोष का संकेत है. इसके अलावा अगर व्यक्ति के बच्चे या उसके पिता किसी बीमारी या परेशानी से जूझ रहे हों, इसे भी पितृदोष का एक लक्षण माना जा सकता है.

कब लगता है पितृदोष?
पंडित संजय मित्तल बताते हैं कि कुंडली के अनुसार जब सूर्य और शनि एक साथ बैठे हों या उनका टकराव होता है, तो पितृदोष होता है. वर्तमान में गोचर में सूर्य और शनि एक साथ बैठे हैं, तो पिता और पुत्र का टकराव हो रहा है. उदाहरण के लिए हम प्रजा और सरकार का टकराव मान सकते हैं. जैसे इस समय किसान आंदोलन हो रहा है.

पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
पंडित संजय मित्तल बताते हैं कि अगर आप की जिंदगी में भी ऐसी ही उठापटक हो रही है और आप पितृदोष से मुक्ति से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आप गीता, गायत्री और गंगा स्नान से पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं, इसलिए पितृ दोष की मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन गंगा स्नान किया जाता है. वहीं अपनी राशि के अनुसार जो गीता का अध्याय है, उसे पढ़ें और गायत्री मंत्र के उच्चारण के अलावा उसे लिखने से भी लाभ मिलता है.