बीजिंग । जिस तरह से वैज्ञानिकों को डायनासोर के जीवाश्म मिलते रहते हैं, वैसा किंग कॉन्ग जैसे जानवर के साथ नहीं है। अभी तक साइंटिस्ट को किंग कॉन्ग जैसे जानवर के होने के किसी भी तरह के जीवाश्म नहीं मिले थे, पर नए अध्ययन में दावा किया गया है कि किंग कॉन्ग जैसे जानवर का अस्तित्व वास्तव में था। 
अध्ययन के मुताबिक दक्षिणी चीन में सदियों पहले 10 फुट लंबा और गोरिल्ला से दो गुना भारी वानर प्रजाति का एक जानवर रह करता था जो जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हो गया था। इस तरह के विशाल जानवरों के बारे में वैज्ञानिक काफी पहले से जानने का प्रयास कर रहे हैं। पर इनके गायब हो जाने का बड़ा रहस्य आज भी कायम है। 
जिस जीव का जीवाश्म वैज्ञानिकों को मिला है, उसका नाम जाइगेंटोपिथेकस ब्लैकी है जो जर्मन- डच जीवाश्म विज्ञानी जीएचआर वॉन कोइनिगवाल्ड ने खोजा है।उन्हें इनके दांत और जबड़ों के जीवाश्म दक्षिण चीन की गुफाओं से मिले थे। करीब 20 लाख साल पुरानी गुफाओं में सैंकड़ों दांत मिले थे। पर युवा गुफाओं में बहुत ही कम दांत मिले हैं। अध्ययन से साइंटिस्ट को पता चला कि इन जानवरों की खुराक ना केवल समय के साथ बदली थी बल्कि उन्हे जलवायु परिवर्तन का भी समाना करना पड़ा था। यह अध्ययन नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
 वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अभी इनके आकार और संरचना के बारे में जानकारी नहीं मिली है, पर ये फिल्मी किंग कॉन्ग जितने बहुत ज्यादा बड़े भी नहीं हुआ करते थे और ये डायासोर के युग में तो बिलुकल नहीं थे।शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को ये जानवर सहन नहीं कर सके और करीब 2.95 लाख से 2.15 लाख साल के बीच के दौर में विलुप्त होते चले गए। वहीं जाइकोंटोपिथेकल की जनसंख्या करीब 20 लाख साल पहले काफी फली फूली थी। जो जंगलो में रह कर फल खाया करते थे। बाद में जलवायु परिवर्तन के कारण इन्हें फल मिलने बंद हो गए और ये विलुप्त होते चले गए।