ग्वालियर  ।   जेट एयरवेज कंपनी की गलती से यात्री का कपड़ों से भरा बैग सिंगापुर में नहीं मिला। जब इस बैग को लेकर सिंगापुर में शिकायत की तो कंपनी की ओर से यात्री को कोई सहयोग भी नहीं दिया गया। यात्री को नए कपड़े खरीदने के लिए सिंगापुर में 50 हजार खर्च करने पड़े। इस खर्च की भरपाई के लिए यात्री ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में परिवाद दायर किया। दस साल के लंबे संघर्ष के बाद पीड़ित को क्षतिपूर्ति के रूप में अब 17 हजार चार रुपये एवं छह प्रतिशत ब्याज भी मिलेगा। एयरवेज कंपनी की वजह से यात्री को जो मानसिक पीड़ा हुई, उसके लिए दो हजार रुपये अलग और एक हजार रुपये केस लड़ने का खर्च भी मिलेगा। कंपनी को यह राशि 30 दिन के भीतर यात्री को देनी है।

दिसंबर 2012 यह है मामला

प्रकरण 21 दिसंबर 2012 का है। शहर के बसंत विहार निवासी नितिन अग्रवाल वर्ष 2012 में अपने मित्र समीर श्रीवास्तव के साथ सिंगापुर घूमने गए थे। उन्होंने ट्रेवल गुरु होलीडेज के यहां से टिकट बुक कराए थे। वह दिल्ली से जेट एयरवेज की फ्लाइट में सवार हुए। उनके नाम से सात बैग बुक थे। डेंपासर बाली इंडोनेशिया में फ्लाइट बदली थी। यहां से वे जेट स्टार फ्लाइट में सवार हुए, लेकिन फ्लाइट में एक बैग एयरवेज कंपनी के कर्मचारी ने नहीं रखा। बाली एयरपोर्ट के लास्ट एंड फाउंड काउंटर पर 21 दिसंबर 2012 को शिकायत दर्ज कराई। हेल्पलाइन नंबर पर भी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन एयरवेज कंपनी की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। जो बैग गुम हुआ था, उसमें कपड़े रखे हुए थे। कपड़े नहीं होने से नितिन को परेशानी हुई। उन्होंने सिंगापुर पहुंचकर कपड़े खरीदने पर 50 हजार रुपये खर्च किए। यह खरीद समीर श्रीवास्तव के क्रेडिट कार्ड से की। 24 दिसंबर 2012 को गुम हुआ बैग नितिन अग्रवाल के पास पहुंच गया, लेकिन जब तक बैग पहुंचा उससे पहले ही नितिन ने 50 हजार रुपये खर्च कर दिए थे। उन्होंने ग्वालियर लौटने के बाद जेट एयरवेज कंपनी से क्षतिपूर्ति मांगी, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद 22 मार्च 2013 को उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। दस साल से यह परिवाद लंबित था।

फोरम के नोटिस का कंपनी ने नहीं दिया था जवाब

जेट एयरवेज कंपनी को फोरम से नोटिस गया और नोटिस की तामील के बाद कोई जवाब नहीं दिया गया। 24 अप्रैल 2023 को फोरम ने अंतिम फैसला कर दिया। आदेश दिया कि हवाई जहाज से सामान गुम होने पर एयरवेज कंपनी जिम्मेदार है। उसकी गलती से यात्री को जो मौद्रिक क्षति हुई है, उसके लिए भी एयरवेज कंपनी जिम्मेदार है, इसलिए क्षतिपूर्ति के रूप में 17 हजार चार रुपये दिए जाने के आदेश दिए हैं।