एमके स्टालिन : नई शिक्षा नीति को लेकर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि उनका राज्य एक और भाषा युद्ध के लिए तैयार है, क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के माध्यम से कथित हिंदी थोपने को लेकर केंद्र के साथ तनाव बढ़ रहा है. हिंदी को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बीच जुबानी जंग और तीखी हो गई. उन्होंने कहा कि वे किसी भी कीमत पर राज्य में नई शिक्षा नीति लागू नहीं करेंगे. मुख्यमंत्री स्टालिन ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने केंद्र पर शिक्षा का राजनीतिकरण करने और राज्य से महत्वपूर्ण पैसा रोकने का आरोप लगाया है. स्टालिन ने साफ किया कि वे तमिलनाडु एनईपी पर हस्ताक्षर करेंगे. भले ही कुछ हो जाए.

2000 करोड़ के लिए अधिकार नहीं छोड़ सकते- स्टालिन
स्टालिन ने कहा कि हम 2,000 करोड़ के लिए अपने अधिकारों को नहीं छोड़ सकते हैं, अगर ऐसा करते हैं तो तमिल समाज 2000 साल पीछे चला जाएगा. उन्होंने कहा कि मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन कभी ऐसा पाप नहीं करेंगे.

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति सामाजिक न्याय को कमजोर करती है, ये तमिल भाषा को खतरे में डाल सकती है. ये सीधे तौर पर हमारे तमिल लोगों और तमिलनाडु के खिलाफ है. इससे हमारे बच्चों के भविष्य पर सीधा खतरा है. हम किसी भी भाषा का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन हम हमेशा थोपने वाली हर भाषा का विरोध करेंगे. स्टालिन ने स्पष्ट किया कि एनईपी का उनका विरोध केवल इसलिए नहीं है क्योंकि यह हिंदी को बढ़ावा देती है, बल्कि इसलिए है क्योंकि नीति छात्रों को स्कूलों से बाहर कर देती है.

क्या है पूरा विवाद
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बीच बीते कई दिनों से जुबानी जंग चल रही है. बीते दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तमिलनाडु में लागू करने से स्टालिन के इनकार पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नाराजगी जाहिर की थी. वहीं स्टालिन, केंद्र सरकार पर जबरन राज्य में इसे लागू करने का आरोप लगा रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा था कि जब तक तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं कर लेता, तब तक केंद्र सरकार की तरफ से उसे फंड नहीं दिया जाएगा.