सीएजी रिपोर्ट में खुलासा: केजरीवाल सरकार को शराब नीति के चलते 2 हजार करोड़ का नुकसान
रेखा गुप्ता: दिल्ली में भाजपा की नई-नवेली सरकार आम आदमी पार्टी और उनके दस साल के शासन काल को बख्शने के मूड में तनिक भी दिखलाई नहीं दे रही. रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने विधानसभा के मंच का पहला इस्तेमाल आज सीएजी रिपोर्ट पेश करने के लिए किया. ये सीएजी रिपोर्ट केजरीवाल सरकार के दौर पर में हुए कथित शराब घोटाले को लेकर था. विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार को 2021-2022 के कानून के कारण 2 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान हुआ. इसी आबकारी नीति को लागू करने में हुए कथित घोटाले को लेकर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल में महीनों बिता चुके हैं.
आम आदमी पार्टी के सरकार पर कुल 14 सीएजी रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश होनी है. ये रिपोर्ट उन्हीं में से एक थी. इस रिपोर्ट में बताया गया कि लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघन किया गया. साथ ही, शराब नीति में बदलाव सुझाने के लिए जो एक्सपर्ट पैनल गठित की गई, उसकी सिफारिशों को भी तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज किया. इस रिपोर्ट में सरकारी खजाने में 941.53 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान, लाइसेंस शुल्क के रूप में लगभग 890.15 करोड़ रुपये का घाटा और कुछ दूसरे छूट के कारण 144 करोड़ रुपये कम आए. करीब 15 बिंदुओं में तैयार की गई इस रिपोर्ट को आइये तीन बिंदुओं में समझें.
1. दो हजार करोड़ का नुकसान यूं हुआ
सरकार के अलग-अलग कदमों से दिल्ली के सरकारी खजाने को तकरीबन 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. पहला – नॉन-कंफॉर्मिंग वार्ड्स यानी गैर-अनुरूप वार्डों में खुदरा दुकान नहीं खोलने से 941.53 करोड़ रुपये का नुकसान, सरेंडर कर दिए गए लाइसेंस का फिर से टेंडर न करने से 890 करोड़ का घाटा, आबकारी विभाग की सलाह के बावजूद कोरोना का हवाला देकर जोनल लाइसेंस फी माफ किए जाने से 144 करोड़ जबकि जोनल लाइसेंस से सही तरीके से सिक्योरिटी डिपोजिट न लेने के कारण 27 करोड़ का नुकसान हुआ. इन सबको जोड़ दें तो कुल 2 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में की है.
2. राजस्व घटा पर होलसेल को फायदा
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली शराब नीति 2010 के नियम 35 को लागू करने में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार नाकाम रही. जिसके कारण थोक विक्रेताओं को लाइसेंस दिए गए. इससे शराब का पूरा चेन प्रभावित हुआ. इसी वजह से शराब के मैन्यूफैक्चिरिंग, थोक और खुदरा कारोबार के बीच एक तारतम्यता बिगड़ी. इस वजह से थोक विक्रेताओं के मुनाफे में 5 से लेकर 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी तो हुई लेकिन राजस्व गिर गया. आम आदमी पार्टी की सरकार ने रिटेल यानी खुदरा विक्रेताओं को बिना किसी जांच पड़ताल के लाइसेंस दिए. इस संबंध में न तो उनके वित्तीय दस्तावेज, ना ही आपराधिक रिकॉर्ड का कोई ध्यान रखा गया.
3. लोगों के पास विकल्प ही नहीं छोड़े
रिपोर्ट की सबसे गंभीर बात ये है कि उपभोक्ताओं के पास विकल्प नहीं छोड़े गए. इससे हुआ ये कि शराब के दाम मनमाने तरीके से बढ़ाए जा सकते थे. प्रतिस्पर्धा कम करने की वजह से भी सररकार को राजस्व का नुकसान हुआ. बड़े आर्थिक प्रभाव वाली छूट और रियायतों को बिना कैबिनेट की मंजूरी या फिर उपराज्पपाल से सलाह-मशवरा के दे दिया गया. शराब की कीमत तय करने में भी पारदर्शिता नहीं रखी गई. दिल्ली के 2021 के मास्टर प्लान के मुताबिक कुछ खास जगहों पर शराब की दुकानें खोलने पर रोक थी. मगर केजरीवाल की सरकार की तरफ से लाई गई आबकारी नीति 2021-22 में प्रत्येक वार्ड में कम से कम दो खुदरा दुकानें खोलने का आदेश दिया गया.
उपराज्यपाल की सिफारिश और जांच
दिल्ली विधानसभा चुनाव और पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले कथित शराब घोटाले का मामला काफी चर्चा में रहा था. जुलाई 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. उपराज्यपाल ने सिफारिश में शराब नीति को बनाने और उसको लागू करने में कथित अनियमितताओं की बात की थी. जिसका इस्तेमाल भाजपा ने आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ राजनीतिक हमले के तौर पर किया था. मामले में जांच एजेंसियों की कार्रवाई और गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह सहित आप के कई शीर्ष नेताओं को कई महीने जेल में बिताने पड़े थे.