भारत की स्टार वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने कलाई की चोट के बावजूद विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक अपने नाम किया है। उन्होंने इस प्रतियोगिता में कुल 200 किलोग्राम भार उठाया। टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता चानू ने 49 किग्रा वर्ग में स्नैच में 87 किग्रा और 'क्लीन एंड जर्क' में 113 किग्रा भार उठाया।चीन की जियांग हुइहुआ ने कुल 206 किग्रा (93+113) भार उटाकर स्वर्ण पदक जीता, जबकि उनकी हमवतन और टोक्यो ओलंपिक चैंपियन होउ झिहुआ ने 198 किग्रा (89+109) भार उठाकर कांस्य पदक जीता।मुख्य कोच विजय शर्मा ने कहा, ''हम इस टूर्नामेंट के लिए कोई दबाव नहीं ले रहे थे। यह वह वजन है जिसे मीरा नियमित रूप से उठाती हैं। अब से हम वजन बढ़ाना और सुधार करना शुरू करेंगे। हम ज्यादा कुछ नहीं कर सके क्योंकि हम विश्व चैंपियनशिप को छोड़ना नहीं चाहते थे। अब हम उनकी कलाई पर ध्यान देंगे क्योंकि हमारे पास अगले टूर्नामेंट से पहले काफी समय है।"

प्रतियोगिता में कुल 11 खिलाड़ी शामिल थे, लेकिन अधिकतर खिलाड़ियों ने ज्यादा जोर नहीं लगाया और खुद को चोट से बचाने की कोशिश की। जिहुआ ने तो क्लीन एंड जर्क में अपना आखिरी प्रयास भी नहीं किया और उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग ले रही चानू का प्रदर्शन स्नैच में काफी निराशाजनक रहा। उन्होंने 84 किग्रा भार उठाने के साथ शुरुआत की लेकिन 87 किग्रा भार उठाने के उनके दूसरे प्रयास को असफल माना गया। इसी वजह से उन्होंने 90 किग्रा भार उठाने की कोशिश नहीं की।

28 साल का चानू अपने अंतिम प्रयास में 87 किलोग्राम भार उठाते समय थोड़ा डगमगाईं, लेकिन अंत में वह सफल रहीं। इस वर्ग में उनका व्यक्तिगत स्कोर इससे एक किलोग्राम ज्यादा है।स्नैच सेक्शन में पांचवें स्थान पर रहने के बाद चानू ने क्लीन एंड जर्क में सबसे ज्यादा वजन तय किया, लेकिन 111 किलोग्राम भार उठाते समय उनकी बाईं कोहनी थोड़ी लड़खड़ा गई और उनके प्रयास को मान्य नहीं किया गया। भारतीय खेमे ने फैसले को चुनौती दी लेकिन इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ। इस श्रेणी में विश्व रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाली चानू ने 111 किग्रा और 113 किग्रा के अपने अंतिम दो प्रयासों में ओवरऑल और क्लीन एंड जर्क सिल्वर हासिल करने में सफलता हासिल की। उन्होंने स्नैच कैटेगरी में सिल्वर भी लिया।

2022 विश्व चैम्पियनशिप 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए पहला क्वालिफाइंग इवेंट है, जहां भारोत्तोलन स्पर्धाओं को टोक्यो खेलों में 14 से घटाकर 10 कर दिया जाएगा। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं है। 2024 ओलंपिक योग्यता नियम के तहत, एक भारोत्तोलक को 2023 विश्व चैंपियनशिप और 2024 विश्व कप में अनिवार्य रूप से प्रतिस्पर्धा करनी होती है।