नई दिल्ली । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का कहना है कि अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या आतंकी वारदात है। 'देशवासियों के एक वर्ग' को आतंकित करने के मकसद से आईएसआईएस -स्टाइल में यह मर्डर किया गया। इसकी भी जांच करेगी कि क्या यह मामला राष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है या फिर विदेश से इस बर्बर अपराध को भड़काया गया है।
एनआईए ने शनिवार देर रात दर्ज प्राथमिकी दर्ज कर ली है। पीड़ित के बेटे की शिकायत के आधार पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16, 18 और 20 और धारा 34, 153 (ए), 153 (बी), 120 (बी) और 302 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है। अमरावती के फार्मासिस्ट उमेश प्रहलादराव कोल्हे को तीन बाइक सवार इस्लामवादियों ने मौत के घाट उतार दिया था, क्योंकि उसने पूर्व भाजपा नेता नुपुर शर्मा की कथित पैगंबर विरोधी टिप्पणी का समर्थन किया था। एफआईआर में मुदस्सर अहमद, शाहरुख पठान, अब्दुल तौफीक, शोएब खान, आतिब राशिद, युसूफ खान, शाहिम अहमद और इरफान खान को अज्ञात लोगों के साथ आरोपी बनाया गया है। एनआईएकी एफआईआर के मुताबिक, मृतक उमेश कोल्हे की निर्मम हत्या आरोपियों और अन्य लोगों की एक बड़ी साजिश थी, जिन्होंने भारत के लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक फैलाने की कोशिश की। साथ ही धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना इसका मकसद था। इस वारदात को 21 जून की रात 10:00 से 10:30 बजे के बीच अंजाम दिया गया।
मालूम हो कि एनआईए ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय के उस आदेश के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें नोडल संघीय जांच एजेंसी को मामले की जांच के लिए कहा गया था। ऐसे में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार के तहत राज्य की पुलिस पर गंभीर सवाल उठते हैं। तथ्य यह है कि राज्य पुलिस के डीजीपी ने पूछने के बावजूद घटना के बारे में केंद्र को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी, बल्कि एनआईए की ओर से मामले को उठाने का इंतजार किया।अमरावती पुलिस ने इस वारदात को लूट के मकसद से कई गई हत्या का मामला दर्ज किया था। एनआईए की प्राथमिकी यह साफ करती है कि पीड़ित के शॉप से कुछ भी चोरी नहीं हुआ था।