नई दिल्ली । एसबीआई ने सर्कुलर जारी कर सभी शाखाओं को निर्देश दिया है कि एक बार में 2000 रुपये के 10 नोट या 20,000 रुपये बदलने के लिए किसी तरह का फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होगी।  इसके अलावा लोगों को इतने नोट बदलने के लिए कोई पहचान पत्र भी दिखाना जरूरी नहीं है। एसबीआई ने जारी निर्देश में शाखा प्रबंधकों से कहा है कि नोट बदलने की प्रक्रिया सरल और तेज बनाने के लिए इन निर्देशों का पालन करे। 
गौरतलब है कि आरबीआई ने 2000 रुपये के मूल्य वर्ग के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा कर दी थी।  2000 रुपये नोटों को लौटाने के लिए 30 सितंबर तक का समय मिलेगा। एक बार में एक व्यक्ति केवल 20,000 रुपये की बदल सकता है। यानी 2000 रुपये के 10 नोट की एक बार में बदले जाएंगे। इसी संबंध में एसबीआई ने यह निर्देश जारी किया है कि 20,000 रुपये बदलने के लिए किसी तरह के पहचान पत्र या फॉर्म की जरूरत नहीं होगी। 
बता दें कि 2000 रुपये के मूल्यवर्ग के नोटों की छपाई 2018-19 में ही बंद कर दी गई थी। तब से अब तक इसके चलन में काफी गिरावट आई है। मौजूदा समय में जितने करेंसी नोट सर्कुलेशन में हैं उनका केवल 10 फीसदी हिस्सा ही 2000 रुपये के नोट हैं। जबकि 2018 के मार्च में यह 31 फीसदी के करीब पहुंच गया था। 2000 रुपये के नोट को नोटबंदी के बाद मार्केट में आई कैश की कमी को पूरा करने के लिए लाया गया था। शुरुआत में बेशक लोगों ने इसका इस्तेमाल किया लेकिन धीरे-धीरे 2000 का नोट बाजार से लगभग गायब हो गया। 
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का अर्थव्यवस्था या रोजमर्रा के लेन-देन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगड़िया ने कहा है कि 2000 का नोट वापस मंगाने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले से अर्थव्यवस्था पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इसतरह के वापस हुए नोटों के स्थान पर उसी कीमत में कम मूल्यवर्ग के नोट जारी कर दिए जाएंगे। पनगड़िया ने कहा कि इस कदम के पीछे संभावित मकसद अवैध धन की आवाजाही को और मुश्किल बनाना है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने भी इस बात से इत्तेफाक जताया है। उन्होंने कहा कि 2,000 रुपये के बैंक नोट वापस लेने से काले धन पर रोक लगाने में काफी हद तक मदद मिलेगी।