रणजी ट्रॉफी 2022 में मुंबई की टीम सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है। इस टीम के लिए पारी की शुरुआत करने की जिम्मेदारी 21 साल के यशस्वी जायसवाल के ऊपर है। यशस्वी छोटी उम्र में ही भारतीय क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। अंडर 19 विश्व कप से लेकर रणजी ट्रॉफी और आईपीएल में भी उन्होंने अपनी बल्लेबाजी का जलवा दिखाया है। वह अपने संघर्ष की वजह से भी काफी चर्चा में रहे हैं। रणजी ट्रॉफी में उनकी टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद एक बार फिर यशस्वी ने अपने पुराने दिनों को याद किया है।

यशस्वी ने बताया है कि वो करियर के शुरुआती दिनों में काफी मुश्किलों में रहे थे। उनके लिए सब कुछ बहुत अनिश्चित था। ऐसा लगता था कि कभी भी सब कुछ खत्म हो सकता है और उनका भारत के लिए खेलने का सपना टूट जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने संघर्ष जारी रखा और पहले अंडर 19 फिर आईपीएल में अपनी बल्लेबाजी का जलवा दिखाया। अपने शुरुआती संघर्ष की वजह से यशस्वी मानसिक रूप से बहुत मजबूत हो चुके हैं और अब उन्हें किसी चीज को खोने का डर नहीं लगता।

यशस्वी जायसवाल लगभग 11 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने के लिए यूपी के भदोही से निकलकर मुंबई आ गए थे। उनके पास रहने के लिए घर नहीं था। खाने के लिए पैसे नहीं होते थे। किराये पर घर लेने के लिए पैसे भी नहीं थे। ऐसे में वो टेंट में सोते थे। कई बार तो सिर्फ ग्लूकोज बिस्किट खाकर पूरा दिन गुजारना पड़ता था। पेट पालने के लिए वो मैदान के पास पानी पूरी बेचते थे। अब यशस्वी के पास पैसे की समस्या नहीं है। उनका मानना है कि उन्होंने अपने परिवार को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला है और यह उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है। अब उनके माता-पिता आरामदायक जीवन जी रहे हैं।