भोपाल । करीब नौ साल से बन रहे राजधानी भोपाल का डेवलपमेंट प्लान (मास्टर प्लान)बनकर तैयार हो गया है। संभावना जताई जा रही है इसे इसी साल लागू किया जा सकता है।  राजधानी भोपाल के डेवलपमेंट प्लान को साल 2031 कर पूरा करने का करने का लक्ष्य है, लेकिन ड्राफ्ट 22 माह से तो शासन के पास ही अंतिम मंजूरी के लिए रखा हुआ है। इससे कई विकास कार्य रुके हुए हैं तो कई मनमर्जी से हो रहे हैं। अब तो शहर में नई सरकार का गठन भी हो गया है, लेकिन डेवलपमेंट प्लान का अभी कहीं अता पता नहीं है। भोपाल कहने को तो प्रदेश की राजधानी है, लेकिन पिछले 17 साल से बेतरतीब विकास की मार झेल रहा है। नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह पिछले 9 महीने में तीन बार भोपाल मास्टर प्लान-2031 को लागू करने की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन इस दौरान मंत्रालय में मास्टर प्लान की फाइल पर कोई हलचल नहीं हुई। नया प्लान लागू होने पर आम लोगों को लगभग दोगुना फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर- प्लॉट का एरिया व कुल बिल्टअप एरिया का अनुपात) मिलने और सड़क की चौड़ाई के हिसाब से लैंडयूज का चयन करने की छूट मिलना है, पर यह अटकी हुई है। साथ ही पुराने शहर की हेरिटेज बिल्डिंग्स का डेवलपमेंट भी अटक गया है। मास्टर प्लान में इन बिल्डिंग के डेवलपमेंट के लिए अधिग्रहित किए जाने वाले मकानों व जमीन पर हेरिटेज एफएआर का प्रावधान किया है।

डेढ़ साल से मास्टर प्लान की यह फाइल अटकी
5 मार्च 2020 को नए मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी हुआ था, लेकिन सरकार बदलने और फिर कोरोना के चलते दावे-आपत्ति में देरी हुई। जुलाई में नए सिरे से अधिसूचना जारी की गई। 1731 आपत्तियां आईं। इसके बाद टीएंडसीपी ने अपनी रिपोर्ट के साथ जनवरी 2021 में ड्राफ्ट शासन को भेज दिया। तब से अब तक प्लान पर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। पिछले लगभग डेढ़ साल से मास्टर प्लान की यह फाइल नगरीय आवास एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव के कार्यालय में रखी हुई है। टीएंडसीपी ने मास्टर प्लान का एक प्रेजेंटेशन तैयार कर रखा है, वह प्रेजेंटेशन जनवरी में मुख्य सचिव ने देखा, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ। इस दौरान कई संयुक्त संचालक चले गए। इसे बनाने वाली संयुक्त संचालक सुनीता सिंह का ट्रांसफर इसके जारी होने के बाद कर दिया, जबकि इस पर सुझाव आपत्ति की प्रक्रिया करने वाले संयुक्त संचालक एसके मिश्रा सेवानिवृत्त हो गए हैं। अनियोजित विकास से शहर का स्वरूप लगातार खराब हो रहा है।

कोविड के बहाने अटका प्लान
शहर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट, स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट चल रहे हैं और ऐसे में एक सुव्यवस्थित प्लान की जरूरत है। पर्यावरण और जलस्त्रोतों पर भी इसका असर हो रहा है। तेजी से वनक्षेत्र में निर्माण शुरू किए जा रहे हैं। नया डेवलपमेंट प्लान लागू होने के बाद ही इनके संरक्षण की उम्मीद बनेगी। ड्राफ्ट 2031 मार्च 2020 में ही जारी हो गया था। अक्टूबर 2020 में इस पर सुझाव आपत्ति लेकर सुनवाई की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। आपत्तियों के आधार पर टीएंडसीपी ने संशोधन प्रस्तावित कर शासन को भेज दिया है। अब ये शासन के पास ही अटका हुआ है। शासन के पास इस ड्राफ्ट को सात माह का लंबा समय हो गया। इसे मार्च में जारी करने की बात कही जा रही थी, लेकिन कोविड संक्रमण बढऩे का कारण बताकर इसे रोके रखा। अब कोविड संक्रमण अपने निम्नतम स्तर पर है, ऐसे में इसे जारी किया जा सकता है।

वन क्षेत्र को मिलेगा सुरक्षा कवच
शहर किनारे वनक्षेत्र में तेजी से निर्माण हो रहे हैं। बड़ी सड़कें तैयार कराई जा रही हैं। इनके किनारे की जमीनों पर कॉलोनियां विकसित करने की योजना है। नए प्लान में इसे संरक्षित किया जा रहा है। जितनी जल्दी प्लान लागू होगा, वनक्षेत्र को सुरक्षा का कवच मिलेगा। शहर के आवासीय क्षेत्रों में अवैध तौर पर विकसित हो चुके हॉस्पिटल, नर्सिंगहोम पर निर्णय जरूरी है। इसके लिए शासन की ओर से कुछ नियम बनाए और शुल्क के साथ इन्हें नियमित करने का रास्ता निकाला, लेकिन मास्टर प्लान का इंतजार किया जा रहा, इसके बाद ही नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी। शहर के बाद विकसित 300 से अधिक कॉलोनियों को भी शहर से कनेक्टिविटी का रास्ता निकलेगा। अभी प्लानिंग एरिया से बाहर होने से यहां किसी तरह का प्रस्ताव तय नहीं हो पा रहा है। नए प्लान में इनके लिए प्रावधान किया हुआ है। अगर ड्राफ्ट पर काम किया जाए तो इसका लाभ शहर के बाहर विकसित हो रहे आवासीय क्षेत्रों को जरूर मिलेगा। शहर विकास के लिए इनकी कनेक्टिविटी जरूरी है। शहर के तालाब, जलस्त्रोतों के किनारे व कैचमेंट में अवैध निर्माणों को हटाना है, लेकिन जिम्मेदार एजेंसियां नगर निगम, टीएंडसीपी ही यहां अनुमतियां दे रही हैं। निर्माण करवा रही है। प्लान में यहां वेटलैंड रूल्स 2017 का प्रावधान है, ऐसे में इनके संरक्षण का नया रास्ता निकलेगा। नगर निगम की बजाय, वेटलैंड अथॉरिटी के पास शक्तियां रहेंगी। शहरी गरीबों के लिए नए आवास, नए औद्योगिक क्षेत्र, स्लॉटर हाउस, टिंबर मार्केट जैसे बड़े बाजार, लोहा बाजार व अन्य सुविधाओं के लिए प्लानिंग तय है, जो मास्टर प्लान लागू होने के बाद ही लागू की जा सकेगी। इसके साथ भविष्य के लिए भी जरूरतों के अनुसार स्थान चिन्हित कर जगह तय की जा सकेगी जहां जन उपयोगी चीजें बन सकेंगी।

अवैध निर्माण पर लग सकेगी रोक
नए प्लान में बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया के गांवों को प्लानिंग एरिया में शामिल किया गया है। साथ ही स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी ने भोज वेटलैंड रुल्स भी मंजूर कर दिए हैं। प्लान लागू होगा तो कैचमेंट एरिया में अवैध निर्माण पर नियंत्रण हो सकता है। लैंडयूज आमतौर पर प्लान में अलग-अलग इलाके में अलग-अलग लैंडयूज घोषित किए जाते हैं। लेकिन इस ड्राफ्ट में नया प्रयोग किया है। सड़क की चौड़ाई के हिसाब से ग्रुप बनाए हैं और किस ग्रुप में क्या गतिविधियां संचालित हो सकती हैं उसका ब्यौरा दिया है। यानी आपके प्लॉट का लैंडयूज क्या होगा और उस पर आप कितनी ऊंची बिल्डिंग बना सकेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सामने सड़क की चौड़ाई कितनी है। आम तौर पर सभी मास्टर प्लान में पुराने शहर के हिस्से को यूं ही छोड़ दिया जाता है। लेकिन भोपाल में पहली बार पुराने शहर के डेवलपमेंट के लिए प्रावधान किया गया है। ओल्ड सिटी जोन में आने वाले भूस्वामियों को विरासत संरक्षण के लिए हेरिटेज टीडीआर दिया जाएगा। इसका मतलब उन्हें किसी और क्षेत्र में निर्माण का अधिकार दिया जाएगा। शर्त यह होगी कि ऐतिहासिक इमारत सामने के हिस्से का मूल स्वरूप नहीं बदलेंगे।