छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आयोग ने कहा है कि अकाउंट होल्डर को 2 लाख रुपए दीजिए। जबकि खाता धारक को बैंक ने पहले ये पैसा देने से मना कर दिया था। पर अब आयोग के आदेश के बाद बैंक को अकाउंट होल्डर को ये पैसे देने होंगे। मामला एटीएम कार्ड के बीमा राशि से जुड़ा है। मालखरौदा क्षेत्र के ग्राम पोता निवासी पंकज अनाला की मां जलबाई अनाला का भारतीय स्टेट बैंक की शाखा डभरा में अकाउंट था। अकाउंट में एटीएम की सुविधा भी मिली हुई थी। मगर जलबाई का 12 जून 2017 को निधन हो गया था। इसके बाद उसके बेटे पंकज ने स्टेट बैंक से संपर्क कर एटीएम कार्ड से मिलने वाली बीमा सुविधा का दावा प्रस्तुत किया था। बीमा राशि क्लेम अप्लाई करने के बाद बैंक ने उसे पैसा देने से ही मना कर दिया। जिसके बाद वो उपभोक्ता आयोग गया था। वहां उसने अपना दावा प्रस्तुत किया।

बैंक ने दिया था ये हवाला- इस मामले में बैंक ने कहा था कि आपने 90 दिन के अंदर दावा प्रस्तुत नहीं किया है। इसलिए आपको पैसे नहीं दिए जा सकते। मामले में सुनवाई करते हुए अब आयोग ने कहा है कि बीमा का लाभ हर हाल में खाता धारक को मिलना चाहिए। इसके लिए निर्धारित समय सीमा की बात ही नहीं है। इसलिए बैंक को अब बीमा का 2 लाख रुपए, मानसिक क्षतिपूर्ति 5000 रुपए और वाद व्यय के रूप में एक हजार रुपए देना होगा।

मामले में जांच करते हुए उपभोक्ता आयोग ने भी पाया कि हितग्राही के खाते से 45 दिन पहले एक ट्रांजेक्शन अनिवार्य होना चाहिए। इसके बाद वह एटीएम बीमा का लाभ प्राप्त कर सकता है। इस मामले में भी हितग्राही ने कुछ दिन पहले करीब 10000 रुपए निकाला था। जिससे वह बीमा की राशि पाने का हकदार है।

2 लाख देने का है प्रावधान- आरबीआई ने ये नियम पहले ही बनाया है कि प्रत्येक एटीएम धारक को बीमा राशि के रूप में 2 लाख रुपए प्राप्त करने का अधिकार है। इसी के चलते इस मामले में पंकज ने बैंक से बीमा राशि प्राप्त करने अप्लाई किया था।